धर्म डेस्क। आज 07 सितंबर को साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह भारत में दिखाई देगा और इसके लिए सूतक काल मान्य होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण काल में राहु का प्रभाव अधिक रहता है, इसलिए इस दौरान किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
मध्य प्रदेश में यह चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू होकर 8 सितंबर की रात 1:26 बजे समाप्त होगा।
सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ हो जाएगा।
धार्मिक अनुष्ठान और मंदिर पूजन की व्यवस्थाएं सुबह ही पूरी कर ली जाएंगी।
एमपी के अन्य शहरों के मंदिरों में भी यही नियम लागू रहेंगे।
ग्रहण काल में गर्भगृह में पूजन सामग्री ले जाना प्रतिबंधित रहेगा।
मंदिरों के पट बंद कर दिए जाएंगे और ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धिकरण व विशेष पूजा के बाद ही पुनः खोले जाएंगे।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की गई है।
सनातन परंपरा के अनुसार, ग्रहण काल में लोग महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। स्थानीय श्रद्धालुओं का मानना है कि ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है और घर-परिवार में शांति बनी रहती है। भोपाल, इंदौर और उज्जैन सहित कई शहरों में श्रद्धालुओं ने शाम से ही नदी किनारे और घरों में मंत्र जाप शुरू कर दिया।
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में पूजन क्रम में परिवर्तन किया गया है।
शयन आरती, जो सामान्यतः रात 10:30 बजे होती है, आज रात 9:30 बजे होगी।
मंदिर के पट 9:56 बजे बंद कर दिए जाएंगे।
संध्या आरती, भोग आरती और भस्म आरती अपने निर्धारित समय पर होंगी।
ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर का शुद्धिकरण कर भगवान का अभिषेक और विशेष भस्म आरती की जाएगी।
इस बार चंद्र ग्रहण पितृपक्ष के साथ पड़ रहा है, जिसे भक्तों के लिए विशेष महत्व का माना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस संयोग में की गई साधना और पूजा-अर्चना से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को आशीर्वाद प्राप्त होता है।