मूल नक्षत्र
मूल, ज्येष्ठा और आश्लेषा इन तीन नक्षत्रों को मूल नक्षत्र कहा जाता है और आश्विन, मेघा और रेवती को सहायक मूल नक्षत्र होते हैं।
By Shailendra Kumar
Edited By: Shailendra Kumar
Publish Date: Thu, 04 May 2023 08:30:45 PM (IST)
Updated Date: Thu, 04 May 2023 08:30:45 PM (IST)
Mool Nakshatra: राशि चक्र क1 91वां नक्षत्र समूह है मूल नक्षत्र। मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है और राशि के स्वामी देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोगों पर गुरु और केतु का सीधा प्रभाव पड़ता है। मूल नक्षत्र पर विनाश की देवी यानी देवी महाकाली का शासन होता है। ‘मूल’ का अर्थ जड़ है और इसका प्रतीक जड़ों के एक समूह से है जो एक साथ बंधे होते हैं।
जातकों की विशेषता
ज्योतिष शास्त्र में मूल नक्षत्र को एक अशुभ नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक सुखी, धनी तथा वाहन वाले होते हैं, लेकिन किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित रहते हैं। ये उपद्रवी, हिंसक, परन्तु बलवान होते हैं। ये शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं और टिक कर कार्य करने वाले, कठोर स्वभाव वाले होते हैं। मूल नक्षत्र वाले जातक ड्यूटी पर खरे उतरते हैं। इनके जीवन में आकस्मिक दुर्घटना की प्रबल शंका रहती है।