
धर्म डेस्क। महाभारत का युद्ध इतिहास के सबसे भीषण और महाकाव्य युद्धों में गिना जाता है। इस युद्ध में ऐसे कई दिव्य अस्त्रों का उल्लेख मिलता है, जिनकी शक्ति का अंदाजा आज भी लगाना मुश्किल है।
कुछ अस्त्र इतने प्रभावशाली थे कि उनका एक वार ही पूरे युद्ध को समाप्त कर सकता था। आइए जानते हैं महाभारत में इस्तेमाल हुए उन अद्भुत और शक्तिशाली अस्त्रों के बारे में-

भगवान शिव का दिया हुआ पाशुपतास्त्र महाभारत का सबसे विनाशकारी अस्त्र माना गया है। यह अस्त्र पूरी पृथ्वी का संहार कर सकता था। कहा जाता है कि केवल अर्जुन को यह अस्त्र प्राप्त हुआ था, जब उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। लेकिन इसके प्रयोग से सृष्टि के विनाश की आशंका के कारण अर्जुन ने इसे युद्ध में नहीं चलाया।
यह दिव्य अस्त्र स्वयं ब्रह्मा द्वारा निर्मित था। कहा जाता है कि ब्रह्मास्त्र का मुकाबला केवल दूसरा ब्रह्मास्त्र ही कर सकता था। महाभारत के युद्ध में अर्जुन, कर्ण, अश्वत्थामा, द्रोणाचार्य और युधिष्ठिर जैसे योद्धाओं को इसका ज्ञान था। इसके प्रयोग से भूमि बंजर और आकाश अंधकारमय हो जाता था।
नारायणास्त्र भगवान विष्णु का एक अत्यंत प्रचंड अस्त्र था। यह लाखों अग्निबाणों और प्रक्षेपास्त्रों की वर्षा करता था, जिसे कोई भी शस्त्र रोक नहीं सकता था। इससे बचने का केवल एक ही उपाय था - शरणागति। अश्वत्थामा ने अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद इसका प्रयोग पांडव सेना पर किया था, जिससे हजारों सैनिक मारे गए।
यह अस्त्र अग्नि देव का वरदान था, जो अपने लक्ष्य को पलभर में जलाकर राख कर देता था। इसे केवल पर्जन्य अस्त्र से ही निष्क्रिय किया जा सकता था। गुरु द्रोणाचार्य ने यह अस्त्र अर्जुन को प्रदान किया था।
देवेंद्र इंद्र का दिया हुआ वासवी शक्ति अस्त्र इतना प्रबल था कि इसे कोई विफल नहीं कर सकता था। कर्ण ने इसे अर्जुन के लिए संभालकर रखा था, लेकिन घटोत्कच को मारने के लिए इसे प्रयोग करना पड़ा। यह अस्त्र केवल एक बार ही प्रयोग किया जा सकता था।
महाभारत के इन दिव्य अस्त्रों की शक्ति इतनी अद्भुत थी कि यदि इन्हें पूर्ण रूप से प्रयोग में लाया जाता, तो पूरा युद्ध एक ही दिन में समाप्त हो सकता था।