Mysterious Temple in India: रहस्यमयी है देश का ये मंदिर, जहां चमत्कार देख अकबर ने भी चढ़ाया था सोना
Mysterious Temple in India ज्वालामुखी मंदिर में प्रज्वलित 9 लपटों को मुगल बादशाह अकबर ने बुझाने की नाकाम कोशिश की थी
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Wed, 16 Mar 2022 12:31:18 PM (IST)
Updated Date: Wed, 16 Mar 2022 12:31:18 PM (IST)

Mysterious Temple in India । भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर है, जिनके चमत्कारों को आज तक वैज्ञानिक भी सुलझा नहीं पाए हैं। ऐसा ही एक मंदिर है हिमाचल प्रदेश में 51 शक्तिपीठ मंदिर में से एक ज्वाला देवी मंदिर। देवी शक्ति को समर्पित यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी पर स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान पर माता सती की की जीभ गिरी थी। इसके अलावा यह भी धार्मिक मान्यता है कि जिस स्थान पर शक्तिपीठ की स्थापना हुई है, उस स्थान को पांडवों ने खोजा था। इसके अलावा भी ज्वाला देवी मंदिर कुछ रहस्यमयी घटनाओं के लिए जाना जाता है और यह भारत के रहस्यमयी मंदिरों में शामिल है।
मंदिर में कई वर्षों से जल रही 9 प्राकृतिक ज्वालाएं
हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी शक्तिपीठ मंदिर में कई सालों से 9 प्राकृतिक ज्वालाएं जल रही हैं। वैज्ञानिक मंदिर में निकल रही आग की लपटों का पता लगाने के लिए बीते कई सालों में रिसर्च भी कर रहे हैं। इसकी खोज के लिए वैज्ञानिकों ने 9 किमी की खुदाई भी कर ली लेकिन आज तक यह पता नहीं चला कि आखिर ज्वाला के लिए प्राकृतिक गैस कहां से निकल रही है। जिस स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई है, वहीं 9 ज्वालाएं निकल रही है और 9 ज्वालाओं को चंडी, हिंगलाज, अन्नपूर्णा, महालक्ष्मी, विंध्यवासिनी, सरस्वती, अंबिका, अंजीदेवी और महाकाली के नाम से जाना जाता है।
1835 में हुआ था मंदिर का निर्माण
ऐतिहासिक जानकारी के मुताबिक ज्वाला देवी मंदिर का निर्माण सबसे पहले राजा भूमि चंद ने करवाया था। इसके बाद में कई अन्य शासक भी आए, जिन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद ने मंदिर का निर्माण पूरा किया।
अकबर ने 9 ज्वालाओं को बुझाने का किया था प्रयास
ज्वालामुखी मंदिर में प्रज्वलित 9 लपटों को मुगल बादशाह अकबर ने बुझाने की नाकाम कोशिश की थी। इस ज्वाला को लेकर अकबर के मन में कई शंकाएं थी। अकबर ने धधकती ज्वाला पर पानी को डालने का आदेश दिया था। साथ ही नहर को ज्वाला की ओर मोड़ने का आदेश दिया गया, लेकिन ये सभी प्रयास असफल रहने पर आखिरकार देवी मंदिर के चमत्कार को देखकर अकबर को झुकना पड़ा और आखिरकार नतमस्तक हुआ और मंदिर में सोने की छतरी दान की थी। कहा जाता है कि देवी मां ने अकबर की सोने की छतरी भेंट के रूप में स्वीकार नहीं की थी और और सोने की छतरी नीचे गिर गई, जिसके बाद यह किसी और धातु में बदल गया, जिसे आज तक कोई नहीं जानता।