
धर्म डेस्क। महाभारत की कथा जितनी विशाल है, उतनी ही रहस्यमयी भी। हर बार इसे पढ़ने पर कोई न कोई नई और अद्भुत घटना सामने आती है। इस महायुद्ध में ऐसे कई वीर योद्धा हुए जिन्होंने धर्म, कर्म और त्याग के मार्ग पर चलकर अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
लेकिन क्या आप जानते हैं मरते समय इन योद्धाओं की अंतिम इच्छाएं क्या थीं। श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उन सभी की अंतिम इच्छाओं को पूरा किया था। आइए इन महान योद्धाओं की अद्भुत अंतिम इच्छाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कर्ण को उनकी दानशीलता और विनम्रता के लिए आज भी याद किया जाता है। युद्धभूमि में घायल होने के बाद श्रीकृष्ण उनके सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा।
कर्ण ने कहा 'प्रभु, अगले जन्म में आप मेरे राज्य में जन्म लें।' इसके अलावा उन्होंने इच्छा जताई कि उनका अंतिम संस्कार ऐसी जगह हो जहां कभी कोई पाप न हुआ हो। श्रीकृष्ण ने उनकी दोनों इच्छाएं पूर्ण कीं, और कर्ण को मोक्ष प्राप्त हुआ।
भीम पुत्र घटोत्कच अपनी वीरता और बल के लिए प्रसिद्ध थे। युद्ध में प्राण त्यागने से पहले उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि 'मेरे शरीर को न भूमि को सौंपना, न जल में बहाना, और न अग्नि से दाह देना। बस मुझे वायु में विलीन कर देना।' श्रीकृष्ण ने उनकी यह अनोखी इच्छा पूरी की, जिससे घटोत्कच तत्वों में समा गए।
महाभारत के सबसे ज्ञानी और धर्मनिष्ठ पात्र विदुर ने अपने जीवन के अंत में श्रीकृष्ण से कहा कि 'मेरे देहांत के बाद मेरा शरीर सुदर्शन चक्र में विलीन हो जाए, ताकि मेरा अस्तित्व सदैव आपके साथ बना रहे।' श्रीकृष्ण ने यह इच्छा भी पूरी की और विदुर को ईश्वर में लीन होने का वरदान मिला।