Nag Panchami पर इस योग में करें नागदेवता की पूजा, विवाह बाधा से मिलेगा छुटकारा
29 जुलाई 2025 को नागपंचमी का पर्व शिव योग व उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में मनाया जाएगा। यह दिन नागदेवता की पूजा, विवाह बाधा निवारण, कालसर्प दोष से मुक्ति और वंश वृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। उज्जैन के नागतीर्थों पर विशेष पूजन व दर्शन होंगे।
Publish Date: Sun, 27 Jul 2025 12:37:17 PM (IST)
Updated Date: Sun, 27 Jul 2025 12:37:17 PM (IST)
नागदेवता की आराधना का सबसे पावन दिन नागपंचमी। (फाइल फोटो)HighLights
- नागपंचमी 29 जुलाई को दुर्लभ योग में मनाई जाएगी।
- नागदेवता की पूजा से विवाह बाधाएं दूर हो सकती हैं।
- नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट एक दिन के लिए खुलेंगे।
धर्म डेस्क, इंदौर। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर 29 जुलाई 2025 मंगलवार को नागपंचमी का पर्व शिव योग और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दुर्लभ संयोग में मनाया जाएगा। यह दिन नागदेवता की आराधना का सबसे पावन दिन माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार इस दिन नाग पूजन से कालसर्प दोष, सर्प श्राप, विवाह में अड़चन जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से विवाह में बाधा का सामना कर रहे युवा इस दिन नागदेवता का विधिपूर्वक पूजन करें।
कुलदेवता के रूप में होती है नागदेवता की पूजा
हिंदू परंपरा में नागदेवता को कुलदेवता का दर्जा प्राप्त है। वे भगवान शिव के गले का हार माने जाते हैं। धर्मग्रंथों में शेषनाग को पृथ्वी का आधार बताया है। भगवान विष्णु भी शेषनाग पर विराजित रहते हैं। मालवा अंचल की परंपरा में नागदेवता की पूजा वंश वृद्धि, परिवार में समृद्धि और शांति के लिए की जाती है।
नागपंचमी पर मिलेगा विवाह बाधा से छुटकारा
इस वर्ष नागपंचमी पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शिव योग का संयोग बन रहा है। ये दोनों स्वामी परस्पर मित्र हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार विवाह में समस्या का सामने कर रहे युवक-युवतियों को इस दिन विधिपूर्वक नागदेवता की आराधना करना चाहिए, तो विवाह के योग जल्द बन सकते हैं।
नागदेवता की पूजा दो प्रकार से होती है:
- शास्त्रोक्त पूजा में मंत्रों द्वारा नागदेवता की प्राण प्रतिष्ठा और पूजन होता है।
- परंपरागत पूजा में घरों की दीवारों पर नागदेवता की आकृति बनाकर पूजन किया जाता है।
- मालवा, निमाड़ और मेवाड़ अंचल में दीवारों पर रेखांकित नाग की पूजा करने की परंपरा है। उन्हें बाटी और चूरमा का भोग अर्पित किया जाता है।
उज्जैन की दस दिशाओं में स्थित हैं विशेष नागतीर्थ
अवंती खंड के अनुसार उज्जैन की दस दिशाओं में अलग-अलग नागदेवताओं का वास है। इन दस दिशाओं में चार शहर के प्रवेश द्वार, चार मध्य क्षेत्र, एक आकाश और एक पाताल लोक को माना गया है। इन स्थानों पर नागपंचमी के दिन विशेष पूजन की परंपरा है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे एक साल बाद
- महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में केवल एक दिन-नागपंचमी पर ही खोले जाते हैं। इस बार 28 जुलाई की रात 12 बजे पट खोले जाएंगे और 29 जुलाई की रात 12 बजे तक दर्शन खुले रहेंगे।
- इसके अलावा पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर और दमदमा क्षेत्र के नागबांबी मंदिर में भी नागपंचमी के अवसर पर भारी श्रद्धालु उमड़ेंगे।
नागपंचमी की विशेष बातें
- कालसर्प दोष निवारण के लिए उपयुक्त दिन
- शिव योग व उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का दुर्लभ संयोग
- वंश वृद्धि व मांगलिक कार्यों में सफलता के संकेत
- उज्जैन के प्रमुख नाग तीर्थों पर श्रद्धालुओं की भीड़ संभावित