Nag Panchami: नाग देवता की कथा सुनकर दूर होंगे ग्रह व काल सर्प दोष, घर में आएगी सुख-समृद्धि
नाग पंचमी पर्व मंगलवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस दिन नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा कर ग्रह दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। सारंगपुर के कालाजी मंदिर में भक्तों ने शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाकर पूजन-अभिषेक किया।
Publish Date: Tue, 29 Jul 2025 08:15:25 AM (IST)
Updated Date: Tue, 29 Jul 2025 08:15:25 AM (IST)
कथा श्रवण से मिलता है पुण्य और मानसिक शांति। (एआई जनरेटेड फोटो)HighLights
- नाग पंचमी पर श्रद्धालुओं ने नाग देवता की पूजा की।
- कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान हुआ।
- नाग देवता को दूध, लड्डू और खीर का भोग लगा।
धर्म डेस्क, इंदौर। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल मनाई जाने वाली नाग पंचमी का पर्व मंगलवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है और हिंदू धर्म में इसका गहरा धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है।
मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक नाग देवता की पूजा करने से ग्रह दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
नाग देवता की पूजा का महत्व और विधि
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और दुर्भाग्य समाप्त होता है। पूजा के लिए नाग देवता की मूर्ति या चित्र को घर या मंदिर में स्थापित किया जाता है। अगर मूर्ति या चित्र उपलब्ध नहीं है, तो आटे से नाग बनाकर उसकी भी पूजा की जा सकती है।
पूजा की शुरुआत दीपक जलाकर करें, इससे पूजा स्थल पवित्र होता है। फिर नाग देवता को जल और दूध से स्नान कराएं, उन्हें चंदन और सुगंधित फूल अर्पित करें। लड्डू, खीर और दूध का भोग लगाकर आरती करें। यह प्रक्रिया वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। नाग देवता की कथा
- प्राचीन काल में एक सेठजी की सात बहुएं थीं। सबसे छोटी बहू अत्यंत चरित्रवान थी। उसके भाई नहीं था। थी। एक दिन मिट्टी लाने के दौरान बड़ी बहू एक सांप को मारने लगी, लेकिन छोटी बहू ने उसे रोका। सांप दूर चला गया, तब छोटी बहू ने उसे वचन दिया कि लौटकर आएगी, लेकिन कामकाज में वह भूल गई। अगले दिन वह फिर गई। सांप से क्षमा मांगते हुए उसे भैया कहकर संबोधित किया। सांप ने उसे बहन मान लिया। वर मांगने को कहा। बहू ने उसे भाई बना लिया।
कुछ समय बाद वह सांप मानव रूप में आया। बहन को अपने घर ले गया, जहां उसे अपार ऐश्वर्य मिला। गलती से बहू ने उसे गर्म दूध दे दिया, जिससे उसका मुख जल गया, लेकिन उसने क्षमा कर बहन को सोना-चांदी देकर विदा किया। यह देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या कर लगी।
राज्य की रानी ने सर्प द्वारा दिए गए हार की चर्चा सुनी। छोटी बहू का वह हार छीन लिया गया। उसने सांप से प्रार्थना की कि वह हार रानी के गले में सर्प बन जाए। ऐसा ही हुआ। राजा को समझ आया कि यह दैवीय हार है। राजा ने बहू को सम्मानित किया। नाग पंचमी पर बहनों द्वारा सर्प को भाई मानकर पूजने की परंपरा बन गई। नाग देवता की कथा सुनना होता है शुभ
इस दिन नाग पंचमी की कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस कथा में नागों के महत्व, शक्ति और उनकी पूजा का कारण विस्तार से बताया गया है। कथा श्रवण से मन शांत होता है और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
कालाजी मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सारंगपुर स्थित कालाजी नाग मंदिर में मंगलवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। संत संतोष पुष्पद ने बताया कि हर साल की तरह इस वर्ष भी भक्त विधि-विधान से नाग देवता की पूजा के साथ शिवलिंग पर दूध और जल से अभिषेक कर रहे हैं। यह परंपरा नाग पंचमी को विशेष बनाती है।