Napunsak Yog: हिंदू धर्म में ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष महत्व है। बच्चे के जन्म के बाद कुंडली तैयार की जाती है। सनातन धर्म में कुंडली के बिना कोई काम नहीं होता है। विवाह करते समय भी कुंडली का महत्व होता है। लड़का और लड़की के कितने गुण मिलते हैं। इस आधार पर रिश्ता तय होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के अनुसार व्यक्ति में कामवासना और नपुंसकता हो सकती है। कुंडली के 7वें और 8वें भाव को यौन संबंधों के लिए जाना जाता है। यदि कुंडली में ये दोनों घर सही नहीं है तो जातक में नपुंसकता आ सकती है।
ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों का उल्लेख है। जिसमें बुध, शनि और केतु को नपुंसक ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। ग्रह अपनी स्थिति के आधार पर पुरुष और स्त्री में नपुंसक गुणों को प्रकट करते हैं। 12 राशियों को आदमी और औरत में बांटा गया है। मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ पुरुष राशिया हैं। वहीं, वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन स्त्री राशियां हैं। जब स्त्री ग्रह पुरुष राशि में आते हैं और पुरुष ग्रह स्त्री राशि में आते हैं। तब वो लोगों को कई तरह से प्रभावित करते हैं।
- जिस जातक की कुंडली में राहु या शनि दूसरे भाव, बुझ 8वें भाव और चंद्रमा 12वें भाव में हो तो शारीरिक कमजोरी के कारण नपुंसकता आती है।
- अगर कुंडली में चंद्रमा जिस भाव में हो और उसके दोनों ओर शनि, राहु, केतु और मंगल ग्रह हों तो पाप कर्तरी योग बनता है। यह योह कुंडली के अष्टम भाव में शनि, केतु या बुध से कोई पाप ग्रह है, तो व्यक्ति यौन इच्छा खो सकता है।
- अगर किसी शख्स की कुंडली में अष्टम भाव में केवल बुध हो। उस पर देव गुरु बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा की दृष्टि न हो तो जातक में हीन भावना हो सकती है।
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र के साथ शनि या राहु बैठा हो तो यौन शक्ति की कमी हो सकती है।
- यदि राहु-केतु में से कोई एक ग्रह कुंडली में 8वें भाव में है। उसके साथ शुक्र या चंद्रमा में से कोई एक है, तो नपुंसकता की संभावना होती है।
- अगर किसी व्यक्ति के जीवन में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो तो पहले किसी डॉक्टर से सलाह लें।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है तो उसे सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए।
- रोज सुबह उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- खान-पान पर ध्यान दें।
- प्रतिदिन योग करें।
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