धर्म डेस्क। दिवाली (Diwali 2025) के त्योहार के कुछ दिन पहले कार्तिक माह में नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। हर साल कार्तिक अमावस्या से एक दिन पहले, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इसे भगवान कृष्ण के सम्मान में आयोजित किया जाता है और इस दिन उनकी भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
कार्तिक माह को विशेष रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के सम्मान में मनाया जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार होते हैं, जैसे धनतेरस, नरक चतुर्दशी, छठ पूजा, दीवाली, देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह। नरक चतुर्दशी हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
सनातन धर्म के अनुसार, नरकासुर नामक दुष्ट ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था और सोलह हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और बंदी स्त्रियों को मुक्त कराया। इस विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप हर साल नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई करना शुभ माना जाता है। नित्यकर्म और स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल या अपामार्ग युक्त पानी से स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होने की मान्यता है।
इसके बाद भक्ति भाव से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पूजा और स्नान से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति जीवन के संकटों से मुक्त होता है।
नरक चतुर्दशी का पर्व अच्छाई की जीत और पापों से मुक्ति का प्रतीक है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।