धर्म डेस्क। नवरात्रि का प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक अलग स्वरूप को समर्पित होता है। अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। मां महागौरी अपने सौम्य और कोमल स्वरूप के लिए जानी जाती हैं। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और गौरवर्णी होने के कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है।
इन्हें श्वेतांबरधरा और अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है। मां महागौरी का तेज और उज्जवल रूप शांति और सुख प्रदान करने वाला है। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से जीवन की हर कठिनाई दूर होती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन भक्त मोरपंखी हरे रंग का वस्त्र धारण कर माता की आराधना करते हैं। मां को नारियल की बर्फी या लड्डू का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना गया है। माना जाता है कि इससे मां महागौरी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर करती हैं।
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।