धर्म डेस्क। Navratri 5th Day Maa Skandamata Puja: वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025 से हो चुकी है। नवरात्रि के पांचवें दिन यानी पंचमी तिथि पर देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं और उन्हें मातृत्व का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि मां स्कंदमाता की विधिवत पूजा करने से भक्त को संतान सुख, ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन मां की आराधना करने से घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है और जीवन से कष्ट दूर होते हैं। मां स्कंदमाता की आराधना से विशेष रूप से संतान की प्रगति और जीवन में सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
मां स्कंदमाता को पूजा के दौरान केले का भोग लगाना बहुत लाभदायक रहता है। उन्हें यह फल अति प्रिय है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। आप मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित कर सकते हैं।
नवरात्रि पंचमी को मां स्कंदमाता की पूजा में स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर देवी का ध्यान करें। गंगाजल से मूर्ति पवित्र करें, कुमकुम, अक्षत, फूल, फल अर्पित करें। घी का दीप जलाकर आरती व मंत्रजाप करें। मां को सफेद वस्त्र और प्रसाद विशेष प्रिय हैं।
"नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।"
"समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥"
"शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।"
"ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥"
"महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।"
"सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥"
"अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।"
"मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥"
"नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।"
"सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥"
"सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।"
"शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्॥"
"तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।"
"सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥"
"सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।"
"प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥"
"स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।"
"अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥"
"पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।"
"जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥"
"सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।"
"शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥"
"या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।"
"नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"