धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है। 23 सितंबर को नवरात्रि का दूसरा दिन मनाया जा रहा है। यह दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी तप, संयम और त्याग की प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन भक्त उनकी विशेष पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी के पूजन से साधक को ज्ञान, तप और वैराग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां की आराधना करने से मनुष्य के जीवन से सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। उसका मन आध्यात्मिक मार्ग की ओर प्रवृत्त होता है।
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शक्कर और मिश्री से बने मिष्ठान्न अति प्रिय हैं, इसलिए इस दिन भक्त खीर और दूध से बनी मिठाइयां अर्पित करते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन नीले, हरे या सफेद रंग के वस्त्र पहनना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ये रंग शांति, संतुलन और पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं।
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पौराणिक कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। वर्षों तक वे केवल फल-फूल और पत्तों पर जीवित रहीं। उनकी निष्ठा और साधना से वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।