उज्जैन। श्वेतांबर जैन समाज के चातुर्मास का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर 12 नवंबर को होगा। इसके साथ ही नगर में विराजित साधु-साध्वीजी चातुर्मास परिवर्तन कर अन्य नगरों के लिए विहार कर सकेंगें। साधु-साध्वी बीते चार महीने में बताए गए जीवन सिद्धि के सूत्रों को आत्मसात करने का आशीष भी देंगे। इस अवसर पर आदीश्वर तीर्थ हनुमंतबाग पर सिद्धाचल तीर्थ पालीताणा की भाव यात्रा, पूजन एवं साधर्मिक वात्सल्य भी होगा।
नगर में चातुर्मास के लिए विराजित साधु-साध्वीजी कार्तिक पूर्णिमा पर चातुर्मास परिवर्तन करते हैं। इसी के साथ चातुर्मास का समापन होता है। इसका आशय यह है कि पिछले चार महीने से एक ही स्थान पर विराजित साधु-साध्वीजी इस दिन के बाद अन्य नगरों के लिए विहार कर सकेंगे। श्री ऋ षभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं पर चातुर्मास के लिए विराजित साध्वीश्री हेमेंद्रप्रभाश्रीजी एवं चारुदर्शाश्रीजी आदि ठाणा का चातुर्मास परिवर्तन सुबह 9 बजे सखीपुरा में महेंद्रकुमार नरेंद्रकुमार दलाल परिवार के निवास पर समारोहपूर्वक होगा।
धर्मसभा में समाजजन जुटेंगे। इसी तरह बड़ा उपाश्रय खाराकुआं पर विराजित साध्वीश्री उपेंद्रयशाश्रीजी, सुप्रितरत्नाश्रीजी, सुहितरत्नाश्रीजी आदि ठाणा-4 एवं चौमुखा जिनालय सुभाषनगर में विराजित साध्वीश्री उर्विताश्रीजी एवं रुहिताश्रीजी भी चातुर्मास परिवर्तन करेंगें। महावीर भवन नमकमंडी में विराजित शांतिमुनि एवं धैर्यमुनि नयापुरा अथवा सुभाषनगर स्थानक में चातुर्मास परिवर्तन करेंगे। उसके पूर्व 10 नवंबर को महावीर भवन में कृतज्ञता दिवस मनाया जाएगा।
सिद्धाचल पट्ट पर करेंगे भावयात्रा
चातुर्मास काल में गुजरात के पालीताणा स्थित शाश्वत तीर्थ श्री सिद्घाचल की यात्रा प्रतिबंधित रहती है। कार्तिक पूर्णिमा से यात्रा शुरू होती है। इसलिए अनेक समाजजन सिद्धाचल यात्रा करते हैं। लेकिन जो समाजजन वहां नहीं जा पाते हैं, वे बड़नगर रोड पर हनुमंतबाग स्थित श्री सिद्घाचल पट्ट के समक्ष आराधना, भावयात्रा, पूजन करते हैं। इस अवसर पर कार्तिक पूर्णिमा पर साधर्मिक वात्सल्य समिति के तत्वावधान में सकल समाज के सहयोग से साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन भी किया जाता है।
दिगंबर समाज का चातुर्मास निष्ठापन हुआ
मान्यता अनुसार दिगंबर जैन समाज का चातुर्मास निष्ठापन कार्यक्रम 15 दिवस पहले दिवाली पर महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के दूसरे दिन होता है। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन बोर्डिंग फ्रीगंज में विराजित मुनि मार्दवसागरजी एवं भद्रसागरजी के चातुर्मास का निष्ठापन एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह हो चुका है।