नईदुनिया प्रतिनिधि, दमोह। स्थानीय अथाई रोड आमचौपरा स्थित रासबिहारी राधाकृष्ण मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा वाचक आचार्य रवि शास्त्री महाराज ने कहा कि जब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया, तब उन्होंने अगस्त्य ऋषि का आह्वान किया।
अगस्त्य ऋषि ने एक घूंट में देवराज इंद्र द्वारा गिराए गए जल को पी लिया। अगस्त्य ऋषि, जो समुद्र को भी एक घूंट में पीने की शक्ति रखते हैं, शिवजी के परम भक्त माने जाते हैं। एक बार माता पार्वती, जिन्हें अन्नपूर्णा भी कहा जाता है, ने शिवजी से निवेदन किया कि वे सभी साधू महात्माओं को भोजन कराना चाहती हैं।
शिवजी ने प्रतिष्ठित संतों और ऋषियों को बुलाने का कार्य किया। लाखों साधू संत एकत्रित हुए, और माता पार्वती ने सैंकड़ों व्यंजन तैयार करवाए। सभी साधु-संत व्यंजन खाकर थक गए, लेकिन भोजन जस का तस पड़ा रहा। माता पार्वती ने शिवजी से शिकायत की कि ये महात्मा बहुत कम खाते हैं।
शिवजी ने अगस्त्य ऋषि को आमंत्रित किया कि वे भरपेट भोजन करें। अगस्त्य ऋषि ने आश्चर्यचकित होकर कहा कि क्या यह सच है? शिवजी ने पुष्टि की, और माता पार्वती ने और भी व्यंजन तैयार करवाए। अगस्त्य ऋषि ने सभी व्यंजन खा लिए, जिससे माता पार्वती को अपनी भूल का एहसास हुआ।
शिवजी ने भगवान विष्णु का रूप धारण कर अगस्त्य ऋषि के पास जाकर उन्हें भोजन कराया। भगवान ने कहा,