नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। पंधाना क्षेत्र के कुछ ऐसे शिवालय जिनसे हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। उनकी ओर कभी जिम्मेदारों का ध्यान नहीं गया। यह ऐसे स्थल है जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने पहुंचते हैं। खासकर सावन माह में इन सभी शिवालयों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन करने पहुंचते हैं। इनकी कायाकल्प के उद्देश्य से पंधाना विधायक छाया मोरे ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखते हुए इन शिवालयों को पुरातन पंजी में दर्ज करने का आग्रह किया है।
विधायक ने पत्र के माध्यम से सीएम यादव को कहा कि क्षेत्र के स्वयं-भू प्रकट शिवलिंग स्थापित मंदिरों से कई किवदंतियां साथ ही हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। अति प्राचीन होने के बाद भी आज तक इनका कोई विकास नही होने से यह पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर इन शिवालयों को पुरातन पंजी में दर्ज किया जाता है तो इसका विकास होगा, जिससे कि क्षेत्र मे पर्यटन और रोजगार के नए मार्ग खुलेंगे। इन प्राचीन शिवालयों को पुरातन पंजी में जोड़ने की मांगगुप्तेश्वर महादेव मंदिर रुस्तमपुरग्राम रुस्तमपुर में सैकड़ों वर्ष पुराने जमीन से लगभग 15 फीट नीचे गुफानुमा मंदिर में स्वयं-भू प्रकट गुप्तेश्वर महादेव है।
मंदिर समिति सदस्यों ने बताया की यहां की मान्यता अनुसार जब भगवान राम वनवास काल में उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहे थे, तब यहां रात्रि विश्राम के दौरान इस शिवलिंग की पूजा की थी। उन्होंने बताया कि पुराने समय में ओंकारेश्वर पहुंचने का गुफानुमा मार्ग था। सावन माह में शिवलिंग पानी में डूबा रहता है और भक्त ऊपर से ही पूजा करते है। यह मंदिर खंडवा मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बुरहानपुर रोड़ पर रुस्तमपुर गांव में स्थित है। भूतेश्वर महादेव देवझीरी मंदिर भोजाखेड़ीग्राम भोजाखेड़ी से दो किलोमीटर दूर मुक्तिधाम के पास भूतेश्वर महादेव का अतिप्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में एक जलधारा सीधे शिवलिंग पर गिरती रहती है, बड़ी बात ये है की भीषण गर्मी में भी जलधारा का पानी कम नहीं होता है। इस जलधारा से शिवलिंग का अभिषेक स्वयं होता है।यहां से इस जल को कुंड में उतारा गया है। कुंड के जल से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। यह मंदिर खंडवा से इंदौर रोड पर 24 किमी ग्राम भोजाखेड़ी और यहां से दो किमी की दूरी पर स्थित है।
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर घाटीखाससतपुड़ा पर्वत की प्रथम श्रेणी में ग्राम घाटीखास के पहाड़ों के बीच लगभग 500 वर्षों पुराना गुप्तेश्वर महादेव का गुफा में मंदिर स्थित है।यहां मंदिर समिति में ग्राम घाटाखेड़ी, घाटिखास और राजपुरा के ग्रामीण सेवा करते है। राजपुरा के मंदिर समिति सदस्यों ने बताया की इस मंदिर की गुफा से नीचे एक प्राचीन बावड़ी है जिसका पानी कभी नही सूखता है। इस बावड़ी में स्नान कर भक्त मंदिर में प्रवेश करते है। उन्होंने बताया की यहां पुराने समय में भक्त राज कालू बाबा, टंट्या मामा भील जैसे लोगों ने शिव की आराधना कर शक्तियां प्राप्त की थी।
मान्यता है कि इस मंदिर से पुराने समय में ओंकारेश्वर और ग्राम दीवाल स्थित मणि मंदिर पहुंचने का रास्ता भी था। इस मंदिर के लिए खंडवा से 20 किमी पंधाना और फिर यहां से घाटाखेड़ी रोड़ पर 15 किमी दूर देवनालियां पहुंचा जाता है। देवनालिया से तीन किमी कच्चा मार्ग जंगल की ओर जाता है, जहां यह मंदिर की गुफा स्थित है। संगमेश्वर महादेव मंदिर खारवाग्राम खारवा से लगभग एक किमी दूर दो नदीयों के संगम पर अति प्राचीन संगमेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। यहां मंदिर से जुड़े ग्रामीणों ने बताया की इस मंदिर में पांडवों ने रात्रि विश्राम के दौरान स्वयं-भू प्रकट संगमेश्वर महादेव का पूजन किया था। इस मंदिर से भी भक्तों की बड़ी आस्था है। दो नदियों के संगम और खेतों के बीच स्थित इस मंदिर के साथ उदासीन आध्यात्मिक आश्रम भी स्थित है। वैसे तो हमेशा यहां भक्तों की भीड़ होती है, मगर सावन माह में श्रद्धालु विशेष तौर पर पहुंचकर महादेव की पूजा अर्चना करते है।
छाया मोरे (विधायक पंधाना) ने बताया कि इस मंदिर के लिए खंडवा से 20 किमी पंधाना और यहां से खारवा जाना पड़ता है। खारवा से मात्र एक किमी दूर यह मंदिर स्थित है। शिवालयों से जुड़ी है लोगों की आस्थाक्षेत्र के इन चारों शिवालयों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। इनकी कायाकल्प को लेकर सीएम को पत्र लिखकर पुरातन पंजी में जोड़ने की मांग की गई है। पुरातन पंजी में नाम दर्ज होने के बाद इनका विकास होगा, जिससे कि पर्यटन के साथ रोजगार के रास्ते खुलेंगे।