पापांकुशा एकादशी व्रत रखने से सारे पाप होते हैं नष्ट, जरूर पढ़ें यह कथा
अश्विन शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी और पारण 4 अक्टूबर को होगा। इस व्रत का महत्व अत्यंत विशेष है। भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से पापों का क्षय होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Publish Date: Fri, 03 Oct 2025 08:37:06 AM (IST)
Updated Date: Fri, 03 Oct 2025 10:48:40 AM (IST)
पापांकुशा पर भगवान विष्णु का पाएं आशीर्वाद। (फाइल फोटो)HighLights
- व्रत से पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति होती।
- प्राचीन कथा में बहेलिये को व्रत से मोक्ष मिला।
- यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करता।
धर्म डेस्क। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को रखा जाएगा, जबकि इसका पारण 4 अक्टूबर को होगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से जीवन के पापों का क्षय होता है। भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति पापमुक्त होता है। उसे श्रीहरि की कृपा से परमगति भी मिल जाती है।
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा
- प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह अत्यंत क्रूर और अधार्मिक जीवन जीता था। उससे आसपास के लोग बहुत ही भयभीत रहते थे। वह सबको परेशान करता था। उसके जीवन के अंतिम समय में जब यमदूत उसे लेने आए, तो वह भयभीत हो गया।
वह अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचा। उनसे मुक्ति का उपाय पूछने लगा। ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने का उपदेश दिया। बहेलिये ने विधिपूर्वक व्रत रखा, भगवान पद्मनाभ की पूजा की और रात्रि जागरण कर अगले दिन पारण किया। इस व्रत से उसके समस्त पाप नष्ट हो गए और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। व्रत का महत्व
पापांकुशा एकादशी व्रत से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और परम शांति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु का नाम-स्मरण, पूजन और व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस एकादशी का व्रत करने वाला हर व्यक्ति श्रीहरि की अनंत कृपा का अधिकारी बनता है।
व्रत पारण नियम
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पापांकुशा एकादशी पर भक्त सुबह स्नान कर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करते हैं। पीले फूल, तुलसी दल और मिठाई अर्पित कर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व मंत्र जप करते हैं। ब्राह्मण या गरीब को दान कर भोजन कराना शुभ माना गया है। द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले पारण अवश्य करें।