Pitru Paksha Tarpan 2025: क्या गया में पितरों का तर्पण करने के बाद छोड़ सकते हैं श्राद्ध, पंडित जी से जानें
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। धर्मशास्त्रों के अनुसार पितरों के तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है। गया श्राद्ध श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन हर वर्ष नित्य श्राद्ध करना अनिवार्य है। नियमित श्राद्ध से पितरों की कृपा और दोष से मुक्ति मिलती है।
Publish Date: Wed, 10 Sep 2025 08:26:02 AM (IST)
Updated Date: Wed, 10 Sep 2025 08:26:02 AM (IST)
श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है। (फाइल फोटो)HighLights
- 18 सितंबर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होगी।
- तर्पण और पिंडदान पितरों की शांति हेतु आवश्यक।
- गया श्राद्ध श्रेष्ठ, लेकिन हर साल नित्य श्राद्ध ज़रूरी।
धर्म डेस्क। हिंदू धर्मशास्त्रों में पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना गया है। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर 2025 से हो रही है, जो पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित पखवाड़ा होता है। इस दौरान लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और दान करते हैं। माना जाता है कि श्रद्धा से किए गए कर्म पूर्वजों को तृप्त करते हैं और आशीर्वाद स्वरूप परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
गया श्राद्ध का महत्व और भ्रांति
ज्योतिष आचार्य पंडित अमर डब्बावाला बताते हैं कि गया जी में श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना जाता है। लेकिन कई लोग वहां श्राद्ध करने के बाद यह मान लेते हैं कि अब हर साल श्राद्ध की आवश्यकता नहीं है। जबकि शास्त्रों के अनुसार यह धारणा गलत है।
नित्य श्राद्ध का महत्व
पंडित डब्बावाला कहते हैं कि तर्पण श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध और तीर्थ श्राद्ध नित्य श्राद्ध माने जाते हैं और इन्हें त्यागना नहीं चाहिए। यदि इनका पालन नहीं किया जाए तो पितरों का दोष लग सकता है।
शास्त्रीय मत
धर्मग्रंथों में स्पष्ट है कि योग्य संतान को तन, मन और धन से पितरों के निमित्त हर वर्ष श्राद्ध करना चाहिए। गया श्राद्ध का विशेष महत्व है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि उसके बाद पितरों के लिए तर्पण या अन्य श्राद्ध न किए जाएं। इसलिए हर साल नियमित रूप से श्राद्ध करना आवश्यक है।
Pitru Paksha 2025 Date: किस तारीख को कौन सी तिथि का श्राद्ध
- प्रतिपदा श्राद्ध : 08 सितंबर 2025
- द्वितीया श्राद्ध: 09 सितंबर 2025
- तृतीया श्राद्ध : 10 सितंबर 2025
- चतुर्थी श्राद्ध : 10 सितंबर 2025
- पंचमी श्राद्ध : 12 सितंबर 2025
- षष्ठी श्राद्ध : 12 सितंबर 2025
- सप्तमी श्राद्ध : 13 सितंबर 2025
- अष्टमी श्राद्ध : 14 सितंबर 2025
- नवमी श्राद्ध : 15 सितंबर 2025
- दशमी श्राद्ध : 16 सितंबर 2025
- एकादशी श्राद्ध : 17 सितंबर 2025
- द्वादशी श्राद्ध : 18 सितंबर 2025
- त्रयोदशी श्राद्ध : 19 सितंबर 2025
- चतुर्दशी श्राद्ध : 20 सितंबर 2025
- सर्वपितृ अमावस्या : 21 सितंबर 2025