
धर्म डेस्क। आज की तेज रफ्तार ज़िंदगी में तनाव और चिंता आम समस्या बन चुकी है। ऐसे में लोग दवाइयों और काउंसलिंग के साथ-साथ आध्यात्मिक उपायों की ओर भी रुख कर रहे हैं।
भारतीय परंपरा में ‘ॐ’ और ‘गायत्री मंत्र’ को मानसिक शांति का सशक्त साधन माना गया है। अध्यात्म ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी इनके प्रभाव को स्वीकार करता है।
अध्यात्म के अनुसार ‘ॐ’ और ‘गायत्री मंत्र’ केवल धार्मिक उच्चारण नहीं हैं, बल्कि ये ऐसी ध्वनियां हैं जो सीधे मन, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक असर डालती हैं। नियमित जप से मानसिक अशांति कम होती है और भीतर संतुलन बनता है। आइए समझते हैं कि ये मंत्र तनाव को कैसे दूर करते हैं।
अध्यात्म में ‘ॐ’ को ब्रह्मांड की आदि ध्वनि कहा गया है। यह ‘अ’, ‘उ’ और ‘म’ तीन ध्वनियों से मिलकर बनता है।
कंपन का प्रभाव - ‘ॐ’ के उच्चारण से शरीर में हल्का कंपन पैदा होता है, जो वेगस नर्व को सक्रिय करता है। इससे हृदय गति संतुलित रहती है और तनाव कम होता है।
एकाग्रता में वृद्धि - गहरी सांस के साथ ‘ॐ’ का जप करने से मन भटकना छोड़कर वर्तमान क्षण पर टिकता है, जिससे तुरंत शांति का अनुभव होता है।
'ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥'
अध्यात्म के अनुसार गायत्री मंत्र सूर्य की दिव्य ऊर्जा से जुड़ा है और यह हमारी बुद्धि, विवेक और आत्मबल को जागृत करता है।
नकारात्मकता में कमी - इस मंत्र के 24 अक्षर शरीर के विभिन्न ऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करते हैं, जिससे मन में चल रही नकारात्मक सोच धीरे-धीरे कम होने लगती है।
मानसिक मजबूती - नियमित जप से आत्मविश्वास बढ़ता है और कठिन परिस्थितियों में भी तनाव हावी नहीं होता।
कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह सामने आया है कि मंत्र जप से शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर घटता है और सेरोटोनिन जैसे ‘हैप्पी हार्मोन’ बढ़ते हैं। इसका असर नींद, एकाग्रता और मानसिक संतुलन पर साफ दिखाई देता है।
अध्यात्म मानता है कि तनाव तब बढ़ता है जब मन अतीत या भविष्य में उलझा रहता है। ‘ॐ’ और ‘गायत्री मंत्र’ का जप हमें वर्तमान में लौटने का अवसर देता है। यह केवल शब्दों का दोहराव नहीं, बल्कि मन और आत्मा को शुद्ध करने की एक गहरी प्रक्रिया है।