
धर्म डेस्क, इंदौर। भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए अपने आराध्य के नाम का जप करते हैं। कुछ भगवान के सामने मौन होकर ध्यान करते हैं, कुछ उपवास का सहारा लेते हैं। इन सबको करने के बाद भी आपकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, तो परेशान ना हों। आप राधा रानी के नामों का जाप कर सकते हैं। इसमें बहुत शक्ति होती है, जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज जी राधा रानी की पूजा में लीन रहते हैं। उन्होंने राधा रानी के 28 चमत्कारी नाम बताए हैं, जिनका जप कर आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उन्होंने राधा रानी के 28 नामों की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि इन नामों का किस तरह से जाप करना चाहिए। प्रेमानंद महाराज ने वीडियो में दावा करते हुए कहा कि राधा किशोरी जी के इन 28 नामों का जप से विश्व की ऐसी कोई समस्या नहीं है, जो हल ना हो पाए। आपकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी। आप जो मांगोगे वह मिलेगा, फिर चाहे वह लौकिक चीज हो या पारलौकिक चीज हो।

| 1 | राधा |
| 2 | रासेश्वरी |
| 3 | रम्या |
| 4 | कृष्ण मत्राधिदेवता |
| 5 | सर्वाद्या |
| 6 | सर्ववन्द्या |
| 7 | वृन्दावन विहारिणी |
| 8 | वृन्दा राधा |
| 9 | रमा |
| 10 | अशेष गोपी मण्डल पूजिता |
| 11 | सत्या |
| 12 | सत्यपरा |
| 13 | सत्यभामा |
| 14 | श्री कृष्ण वल्लभा |
| 15 | वृष भानु सुता |
| 16 | गोपी |
| 17 | मूल प्रकृति |
| 18 | ईश्वरी |
| 19 | गान्धर्वा |
| 20 | राधिका |
| 21 | रम्या |
| 22 | रुक्मिणी |
| 23 | परमेश्वरी |
| 24 | परात्परतरा |
| 25 | पूर्णा |
| 26 | पूर्णचन्द्रविमानना |
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भुक्ति- मुक्तिप्रदा
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| 28 | भवव्याधि-विनाशिनी |
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि आपका जीवन बुराइयों में फंसा हुआ है। आप मांस-मदिरा का सेवन करते हैं। आपके मन में बुरे विचार आते हैं। आप अहंकारी हैं। उसके बाद आप सोच रहे हैं कि किसी महात्मा को लाखों रुपये देकर अपने पूजा करवाकर पुण्य पा लेंगे, तो नर्क में जाओे। यह ऐसे काम नहीं करता है।
राक्षस भी पहले के समय में अनुष्ठान करते थे, तो पहले नियमों का पालन करते थे। उसके बाद ही उनकी मनोकामनाएं पूरी होती थीं। मंत्रों का जाप करते समय ध्यान रखें कि मन में भक्ति का भाव होना जरूरी है। तब जाकर तुमको उसका लाभ प्राप्त होगा।
ऊं ह्नीं राधिकायै नम:।
ऊं ह्नीं श्रीराधायै स्वाहा।
ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।
ऊं ह्नीं श्री राधायै स्वाहा।