नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड। भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा। बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर रक्षा का वचन लेंगी। पर्व को लेकर बाजार में रंगबिरंगी राखी की दुकानें भी सज कर तैयार हो गई हैं। बहनों ने भी रेशम के धागे से लेकर बनावटी फूलों की बनी राखियों की खरीदारी शुरू कर दी है, लेकिन इनका महत्व केवल प्रतीकात्मक है। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन के दिन अगर बहन भाई की कलाई पर वैदिक राखी बांधती है तो भाई में न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा बल्कि उसे संक्रमण रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलेगी। इसे ही असली रक्षासूत्र भी माना जाता है।
पंडित विपिन कृष्ण भारद्वाज के अनुसार समय के साथ पर्व व उनमें उपयोग होने वाली सामग्री में भी बदलाव हुआ है। शास्त्रानुसार कच्चे धागे की राशि बांधना चाहिए। वैदिक राखी भी बांधी जा सकती है। इसे आसानी के साथ घर पर तैयार भी किया जा सकता है। वैदिक राखी बांधने से बांधने वाले में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं। बता दें कि वैदिक राखी बनाने में नाम मात्र का खर्च आता है।
पंडित भारद्वाज के मुताबिक कच्चे सूत व हल्दी से बना रक्षा सूत्र शुद्ध व शुभ होता है। सावन माह में बारिश होती है। इस दौरान संक्रमण रोग फैलते हैं। इस राखी को बांधने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। बता दें कि हल्दी को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है। वहीं वैदिक राखी को सौभाग्यदायक माना जाता है।
दुर्वा को लेकर कामना होती है कि भाई का वंश, दुर्वा के बेल की तरह बढ़े। यह भगवान गणेश की प्रिय है इसलिए इसे विघ्नहर्ता के रूप में भी माना जाता है। अक्षत यानि चावल भाई बहन के अटूट रिश्ते के प्रतीक होते हैं। केसर तेजस्विता, चंदन शीतलता व सरसों को दुर्गणों क प्रति तीक्ष्ण बनाएं रखने की कामना के साथ शामिल किया जाता है।
पंडित भारद्वाज के अनुसार वैदिक राखी बनाने के लिए दुर्वा, अक्षत (चावल), चंदन, सरसों व केसर इन पांच चीजों की थोड़ी-थोड़ी मात्रा लेकर इसे एक पीले रेशम के कपड़े में बांध लेना चाहिए। इसको कलावा (मौली) में बांध कर रक्षा बंधन के दिन भाई को बांधनी चाहिए। यह वैदिक राखी होती है। कच्चे सूत की राखी भी बांधी जा सकती है। कच्चे सूत को हल्दी में भिगोकर इसे सुखाया जाता है।