श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग, भक्तों को मिलेंगे सफलता के अवसर
इस वर्ष जन्माष्टमी पर सूर्य सिंह और चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च स्थिति में रहेंगे। यह दुर्लभ योग साधना और आराधना के लिए शुभ माना गया है। महाकाल मंदिर में विशेष भस्म आरती, श्रीकृष्ण शृंगार और बाल गोपाल की पूजा के आयोजन होंगे, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलेगा।
Publish Date: Thu, 14 Aug 2025 12:50:51 PM (IST)
Updated Date: Sat, 16 Aug 2025 08:31:28 AM (IST)
कृष्ण पूजा से उन्नति संभव। (फाइल फोटो)HighLights
- सूर्य-चंद्रमा उच्च राशि में, साधना के लिए श्रेष्ठ समय।
- कृतिका नक्षत्र, ध्रुव योग, तैतिल करण का संयोग।
- कृष्ण पूजा से उच्च पद, सफलता और उन्नति संभव।
धर्म डेस्क, इंदौर। इस साल जन्माष्टमी का पर्व ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत विशेष होने वाला है। शनिवार मध्यरात्रि को जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, तब सूर्य और चंद्रमा अपनी-अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेंगे। यह संयोग वर्षों बाद बन रहा है, जिसे साधना और आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
ज्योतिषीय महत्व
- ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्म के समय यदि नवग्रहों में से प्रमुख ग्रह अपनी उच्च स्थिति में हों तो यह समय भक्तों के लिए सौभाग्य और सफलता का कारक बनता है। इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में और सूर्य सिंह राशि में रहेंगे, जो उनकी उच्च राशियां मानी जाती हैं।
सूर्य उच्च पद, प्रतिष्ठा, तरक्की और आयु-आरोग्य का प्रतीक है, जबकि चंद्रमा मन, आकर्षण और मानसिक स्थिरता का कारक ग्रह है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि इस बार कृतिका नक्षत्र, ध्रुव योग और तैतिल करण की साक्षी में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, जिसे धर्मशास्त्र में श्रेष्ठ बताया गया है। भक्तों के लिए साधना का अवसर
इस विशेष योग में भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से उच्च पद की प्राप्ति, व्यापार में उन्नति और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। भक्त मंत्र-जप, स्तोत्र पाठ या अन्य साधनाओं के माध्यम से श्रीकृष्ण की आराधना कर सकते हैं। इससे व्यक्तित्व में आकर्षण, वाणी में मधुरता और बुद्धि में अनुकूलता आती है।
महाकाल मंदिर में विशेष आयोजन
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में जन्माष्टमी पर तड़के 3 बजे भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को पंजेरी का भोग लगाया जाएगा। शाम की संध्या आरती में भगवान का श्रीकृष्ण रूप में शृंगार होगा। इसके बाद नेवैद्य कक्ष में बाल गोपाल की पूजा-अर्चना की जाएगी। मंदिर परिसर स्थित साक्षी गोपाल मंदिर में रात 12 बजे विशेष आयोजन के साथ जन्माष्टमी मनाई जाएगी।