Roti ke Niyam: हिंदू धर्म में अक्सर किसी भी कार्य को करने से पहले दिन और मुहूर्त जरूर देखा जाता है। दिनों के हिसाब से ही कार्य निर्धारित किए जाते हैं। ये नियम भोजन पर भी लागू होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन चावल बनाने और खाने की मनाही होती है। ऐसा ही नियम रोटी बनाने को लेकर भी है। हिंदू धर्म में 5 ऐसे मौके होते हैं, जिस दिन रोटी बनाने को लेकर मनाही होती है। इस दिन अगर गलती से भी रोटी बना ली जाए तो जीवन भर कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा नाराज हो जाती हैं।
सनातन धर्म के अनुसार दिवाली समेत मां लक्ष्मी से जुड़े त्योहार आने पर घर में रोटी बनाने की मनाही होती है। इन दिनों में खास पकवान बनाए जाने चाहिए। इस दिन पूरी-हलवा सब्जी बनाकर सेवन करना चाहिए। अगर आप इन दिनों में रोटी बनाते हैं तो इसका मतलब होता है कि आपको मां लक्ष्मी के आगमन की खुशी नहीं है।
शीतला अष्टमी पर देवी शीतला की पूजा की जाती है। उस दिन मां को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। भोग के बाद बचे हुए बासी खाने को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन घर में रोटी और कोई भी ताजा भोजन बनाने की मनाही होती है।
शरद पूर्णिमा पर शाम के समय खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है और इस खीर को अगले दिन प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को आसमान से अमृत वर्षा होती है। अमृत की बूंदे खीर में भी पड़ती है। इस दिन घर में रोटी बनाना वर्जित होता है।
नागपंचमी के दिन अपने घर की रसोई में चूल्हे पर तवा रखना और रोटी बनाना वर्जित माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक तवे को नाग के फन का प्रतीक माना जाता है। इस कारण नागपंचमी पर चूल्हे पर तवा रखने की मनाही होती है। इसकी जगह पतीले में उस दिन कोई और व्यंजन बना सकते हैं।
पुराणों के मुताबिक जब किसी घर में मृत्यु हो जाए तो उस दिन भूलकर भी वहां रोटी या अन्य भोजन नहीं बनाया जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि 13वीं संस्कार होने के बाद ही घर में रोटियां बनाई जानी चाहिए। उससे पहले रोटी बनाने पर अशुभ परिणाम भोगने पड़ते हैं।
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