Rudraksha Wearing Rules: सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष का निर्माण भगवान शिव के आंसुओं से हुआ है। पृथ्वी पर रुद्राक्ष को सबसे पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यताएं है कि रुद्राक्ष धारण करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान शिव की विशेष कृपा आपको प्राप्त होती है। ज्योतिष में रुद्राक्ष धारण करने से संबंधी कई नियम बताए गए हैं। आइये जानते हैं किसको नहीं धारण करना चाहिए रुद्राक्ष।
ज्योतिष में बताए गए नियमों के अनुसार गर्भवती महिला को रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। नियमानुसार बच्चे के जन्म के बाद सूतक काल समाप्त होने तक उसे रुद्राक्ष धारण नहीं चाहिए। वहीं, रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को गर्भवती महिला एवं उसके बच्चे से मिलने के पूर्व रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। ऐसे स्थानों पर रुद्राक्ष पहनकर प्रवेश नहीं करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के लिए बताए गए नियमों के अनुसार मांसाहार करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मांसाहार या धूम्रपान करने से रुद्राक्ष अशुद्ध होता है। भविष्य में इसके नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है।
शयन कक्ष में जाकर सोने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। सोते समय रुद्राक्ष धारण करना उचित नहीं माना जाता है। यदि आप रुद्राक्ष उतारकर अपने तकिए के नीचे रख देते हैं तो आपको बुरे सपने नहीं आते हैं। वहीं, जिन लोगों को नींद नहीं आती या सोने में दिक्कतें आती हैं, उन्हें भी इससे फायदा मिलेगा।
1.रुद्राक्ष धारण करने से पहले रुद्राक्ष के मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए।
2.रुद्राक्ष को उतारने के बाद किसी पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए।
3.रुद्राक्ष को धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए।
4.रुद्राक्ष धारण करके कभी भी श्मशान घाट पर नहीं जाना चाहिए।
5.महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
6.रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए।
7.रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें।
8.रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए।
9.रुद्राक्ष माला को आपने धारण कर लिया है तो अब इसे किसी और को बिल्कुल न दें।
10.रुद्राक्ष की माला को हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए। लेकिन 27 मनकों से कम नहीं होनी चाहिए।
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