Samudra Manthan धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में समुद्र मंथन का जिक्र मिलता है। माना जाता है कि देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था। इसके लिए वासुकी नाग को मथरी बनाया गया और मंदार पर्वत पर इसे लपेटकर समुद्र को मथा गया।
माना जाता है कि यह मंदार पर्वत बिहार में मौजूद है। बिहार के भागलपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर बांका जिले में मदरांचल पर्वत है। मान्यता है कि यही वह मंदार पर्वत है, जिससे समुद्र को मथा गया। इस पर्वत का शिखर करीब 800 फीट है। वहीं इस पर्वत को लेकर कई अन्य मान्यताएं भी जुड़ी है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने मधु कैटभ का वध कर यह पर्वत आर्यों को सौंपा था। बाद में यह स्थान प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुसूदन धाम कहलाया। इस पर्वत के नीचे एक सरोवर भी मौजूद है। इसका निर्माण 7वीं सदी के उत्तर गुप्तकालीन शासक राजा आदित्य सेन के चर्म रोग के उपचार के लिए उनकी पत्नी रानी कोण देवी द्वारा करवाया गया था। इस सरोवर को पापहारिणी के नाम से जाना जाता है।
समुद्र को मथने के लिए जिस वासुकी नाग की मथरी बनाई गई थी, उसके निशान आज भी इस पर्वत पर मिलते हैं। मंदार पर्वत के चारों तरफ एक मोटी रेखा बनी हुई है, माना जाता है कि यह वासुकी नाग के घर्षण के कारण बनी थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग से धन, ऐश्वर्य और वैभव चला गया। जिसके बाद भगवान विष्णु ने देवताओं को असुरों के सहयोग से समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया और अमृत कलश का पान करने के लिए कहा। जिसके बाद देवताओं ने असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'