नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। 13 जुलाई 2025 को न्याय और कर्मफल के देवता शनि मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह वक्रत्वकाल 28 नवंबर 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस चार महीने की अवधि को ज्योतिष शास्त्र में उथल-पुथल, परिवर्तन और चुनौतियों से भरा समय माना जा रहा है।
प्राकृतिक आपदाओं से लेकर शेयर बाजार की अस्थिरता, संक्रमण जनित बीमारियों की वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव की स्थिति तक शनि का वक्री होना कई स्तरों पर असर डालेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार शनि का मीन राशि में वक्री होना धार्मिक जगत में भी प्रभाव डालेगा। कई धार्मिक संस्थानों और आध्यात्मिक व्यक्तियों के लिए यह समय परीक्षाओं से भरा हो सकता है। युक्तिपूर्वक आचरण करने वाले लोग इस दौर में सफलता भी अर्जित कर सकेंगे। शनि के उपाय जैसे शनिचरी अमावस्या पर दान, पीपल के नीचे दीपक लगाना, शनि मंत्र जाप आदि से राहत संभव है।
शनि के वक्री प्रभाव से भूस्खलन, हिमस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाएं अधिक हो सकती हैं। जलवायु में तेजी से बदलाव संभव है। स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें तो संक्रमणजनित बीमारियों में वृद्धि की आशंका है। आमजन को खानपान और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जा रही है।
वक्र शनि का प्रभाव शेयर बाजार पर भी पड़ेगा। विशेषकर मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है। सोना, चांदी जैसी कीमती धातुओं के दामों में भी उतार-चढ़ाव रहेगा। कपड़ा और अनाज व्यापार से जुड़े बाजारों का रुख भी बदल सकता है।
ज्योतिषीय संकेतों के अनुसार भारत सहित विश्वभर की विदेश नीतियों में संशोधन की आवश्यकता महसूस की जा सकती है। एशिया-पेसिफिक क्षेत्र और यूरोपीय नीति में भी बदलाव की संभावनाएं हैं। युद्ध उन्मादी राष्ट्रों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है, जिससे सीजफायर उल्लंघन जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नईदुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।