महाकवि रहीम जयंती पर विशेष 04.02.2017
नवाब अब्दुर्रहीम खान खाना मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के प्रेमी कवि थे। रहीम कलम और तलवार के धनी थे। रहीम मुस्लिम धर्म के अनुयायी थे, लेकिन उन्होंने हिंदू जीवन के अंतर्मन में बैठकर जो मार्मिक तथ्य अंकित किए थे।
- अबदुर्ररहीम खानखाना का जन्म इतिहास लाहौर में हुआ। उनके अब्बू बैरम खां और अम्मी का नाम सुल्ताना बेगम था।
- अकबर ने रहीम को शाही खानदान के अनुरुप मिर्जा खां की उपाधि से सम्मानित किया था।
- रहीम की शिक्षा- दीक्षा अकबर की उदार धर्म- निरपेक्ष नीति के अनुकूल हुई थी। यही कारण था कि रहीम का काव्य का झुकाव हिंदूओं की तरफ था।
- रहीम का विवाह पिता बैरम खां के विरोधी मिर्जा अजीज कोका की बहन माहबानों से हुआ था। रहीम ने अपने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के कथानकों को लिया है।
- रहीम ने स्वयं को 'रहिमन' कहकर भी सम्बोधित किया है। इनके काव्य में नीति, भक्ति, प्रेम और श्रृंगार का सुंदर समावेश मिलता है।
पढ़ें: श्रापित है यह मंदिर, यहां इंसान बन जाता है पत्थर
- रहीम को वीरता, राजनीति, राज्य-संचालन, दानशीलता तथा काव्य जैसे अदभुत गुण अपने माता-पिता से विरासत में मिले थे।