Shani dasha: शनि सबसे धीरे चलने वाला ग्रह है। यह ढाई साल में एक बार अपनी राशि बदलता है। बताया जाता है कि शनि को सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में लगभग 30 साल के समय लगता है। यह ग्रह अपने आगे और पीछे दोनो ग्रहों को भी प्रभावित करता है। जयोतिष शास्त्र में शनि की तीन दृष्टि मानी गई है। साथ ही धर्म ग्रंथों में शनि की नजर को अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि कुंडली के जिस घर में शनि की तीसरी दृष्टि होती है उससे जीवनभर अशुभ फल देखने को मिलते है। जानिए शनि की दृष्टि से जुड़ी कुछ खास बातें-
कितने प्रकार की होती है शनि की दृष्टि
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली के जिस भाव में शनि विराजमान होता है वहां से तीसरे, सातवे और दसवें घर पर अपनी नजर रखता है। यानि कि इन तीन भावों में बैठे ग्रहों पर शनि की दृष्टि होती है। शनि इन ग्रहों से होने वाले शुभ प्रभावों पर अपना असर डालते है। शनि की तीसरी दृष्टि को सबसे शक्तिशाली और सबसे खतरनाक माना गया है। वहीं जन्म कुंडली में शनि की दृष्टि जिस भी घर पर होती है व्यक्ति को उस घर से संबंधित शुभ फल प्राप्त करने में बड़ी कठिनाईयां होती है।
जानिए शनि की दृष्टि का असर
ज्योतिष शास्त्र में यदि जन्मकुंडली में शनि पहले भाव में स्थित हो तो उसकी दृष्टि तीसरे, सातवे और दसवे घर पर होती है। इन तीनो घर में तीसरा घर भाई-बहन का, सातवां घर वैवाहिक जीवन का और दसवां घर नौकरी से जुड़ा होता है। यानि इन तीनों घर से संबंधित शुभ फल पाने के लिए व्यक्ति को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसके कारण व्यक्ति को भाई-बहन का सुख नहीं मिलता और न ही नौकरी से जुड़ा कोई फल प्राप्त होता है।
इन उपायों से कम होगा शनि का प्रभाव
शनिवार के दिन काले घोड़े को भिगोए हुए चने खिलाने से शनि की दृष्टि से शांति मिलती है।
शनिवार के दिन लाल कंबल का आसन बिछाकर, लाल धोती पहनकर हनुमान जी की मूर्ती के सामने तेल का दीपक लगाकर हनुमान चालिसा का 21 बार पाठ करने से शनि की दृष्टि से राहत मिलती है।
किसी गरीब या जरुरतमंद की सेवा करने से भी शनि की तीसरी नजर के अशुभ प्रभाव से शांति मिलती है।