धर्म डेस्क, इंदौर। सनातन धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व है। इस साल पिठोरी अमावस्या 22 अगस्त को भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि पर पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अभी मेष, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है। सिंह और धनु राशि पर शनि की ढैया चल रही है।
मान्यता है कि पिठोरी अमावस्या पर भगवान शिव और शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यह जीवन पर पड़ रहे इन ग्रह दोषों के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
पिठोरी अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसका बहुत ही सकारात्मक प्रभाव शनि के दोष से पीड़ित जातकों के जीवन पर पड़ता है। शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। मंदिर में दीप जलाएं। शिव चालीसा का सच्चे मन से पाठ करने से भी शनि दोष का प्रभाव कम होता है।
पिठोरी अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाकर सरसों के तेल में काला तिल डालकर दीपक जलाना शुभ रहता है। प्रदोष काल में यह उपाय करने से शनि का प्रकोप कम होता है। इसके साथ ही काला तिल, सरसों का तेल, अन्न और कंबल का दान करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है।
शिवलिंग पर धतूरा, बेलपत्र और कच्चा दूध चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है। इसके अलावा हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, जिससे साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव दूर होने लगते हैं।
पिठोरी अमावस्या पर गुड़, तिल, घी और धन का दान करने से न केवल शनि का अशुभ प्रभाव घटता है बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि यह उपाय जीवन में धन, सुख और शांति लाने में सहायक होता है।
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