धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना में सप्तमी को मां कालरात्रि की आराधना का विशेष महत्व है। शक्ति की उपासना के इस पर्व में सप्तमी तिथि का दिन नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति, भय का अंत और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना गया है। मां कालरात्रि की पूजा कने से शत्रुओं पर विजय और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
माता कालरात्रि ज्ञान और वैराग्य की देवी हैं। उनका स्वरूप गहरे अंधकार के समान काला है। उनके तीन नेत्र हैं। बिखरे केश और नासिका से निकलती अग्नि की लपटें दिव्य तेज को दिखाती हैं। मां के तीनों नेत्र ब्रह्मांड के समान हैं। वह अपने बाएं हाथ में खड्ग और लोहे का कांटा लिए हैं। भक्तों का विश्वास है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती हैं।
आश्विन शुक्ल सप्तमी तिथि की शुरुआत 28 सितंबर 2025 को दोपहर 02:28 बजे से हो रही है। इसका समापन 29 सितंबर को शाम 04:31 बजे पर होगा। इस तिथि में मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करना अत्यंत फलदायी होता है।
“ॐ कालरात्रि देव्ये नमः”
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः”
“या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
मां कालरात्रि को गुड़ और चना अर्पित करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं शहद का भोग लगाने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।