नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर अपनी विशिष्ट पूजन परंपरा तथा विलक्षण वास्तुकला के कारण तो विश्व विख्यात है ही, अद्भुत रहस्यों के कारण भी बारह ज्योतिर्लिंगों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। इस मंदिर के गर्भगृह में महाकालेश्वर, मध्य में ओंकारेश्वर तथा शीर्ष पर श्री नागचंद्रेश्वर विराजित है। महाकाल व ओंकारेश्वर के दर्शन तो वर्षभर होते हैं, लेकिन नांगचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही खोले जाते हैं। मान्यता है इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर के आसपास तक्षक नाग का पहरा रहता है, इसलिए वर्षभर पट बंद रहते हैं। साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन पट खोलने व पूजा अर्चना की परंपरा है।
मंदिर की पूजन परंपरा महानिर्वाणी अखाड़े के पास है। गादीपति महंत विनितगिरी महाराज ने बताया नागचंद्रेश्वर देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जो वर्ष भर बंद रहता है। साल में सिर्फ एक बार सिर्फ नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं। पारंपरिक पूजा अर्चना के बाद भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता है। पर्व संपन्न होने के बाद पट पुन: एक वर्ष के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद सालभर मंदिर की सीढ़ियों के मुख्य द्वार पर भगवान की प्रतिकात्मक पूजा अर्चना कर दी जाती है। मंदिर के शिखर पर ध्वज आरोहण करने जाते समय दूर से ही स्थूल रूप में भगवान को पुष्प अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में तक्षक नाग का पहरा रहता है, जो भगवान नागचंद्रेश्वर के आसपास विराजमान रहते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर में भक्तों को नागदेवता के एक साथ दो रूपों में दर्शन होते हैं। मंदिर के अग्रभाग में भगवान नागचंद्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे हैं। सर्पासन पर भगवान शिव व पार्वती भी विराजित हैं। बताया जाता है 11 वीं शताब्दी में निर्मित इस अद्भुत दिव्य प्रतिमा को नेपाल से यहां लाया गया है। इस प्रकार की विश्व में दूसरी कोई प्रतिमा नहीं है। इनके दर्शन के बाद भक्त मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं, जहां नागचंद्रेश्वर शिवलिंग रूप में विराजित है। भक्त इनका जलाभिषेक व दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
मंदिर प्रशासक एडीएम प्रथम कौशिक ने बताया सोमवार रात 12 बजे श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे। पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रथम पूजा की जाएगी। पश्चात रात करीब 12.40 बजे से आम दर्शन का सिलसिला शुरू होगा, जो मंगलवार रात 12 बजे तक चलेगा। मंगलवार दोपहर 12 बजे शासकीय तथा शाम 7.30 बजे भगवान महाकाल की आरती के बाद मंदिर समिति की ओर से पूजा अर्चना की जाएगी।
सामान्य दर्शनार्थी: कर्कराज मंदिर पार्किंग से चार धाम मंदिर होते हुए नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचेंगे।
शीघ्र दर्शन: 300 रुपये के शीघ्र दर्शन टिकट वाले दर्शनार्थी हरसिद्धि चौराहा से दर्शन की कतार में लगेंगे।
वीवीआईपी: वीवीआइपी तथा प्राटोकाल के तहत आने वाले श्रद्धालु नीलकंठ द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे।