
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। ग्रहों के राजा सूर्य का वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश 15 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 20 मिनट बजे होगा। इसके साथ भगवान विष्णु का प्रिय धनुर्मास (खरमास) की शुरुआत होगी। इस दौरान सूर्य के कमजोर पढ़ने से विवाह, मुंडन सहित अन्य मांगालिक कार्यों पर विराम लगेगा। हालांकि शुक्र का तारा अस्त होने के चलते इस बार 14 जनवरी को मकर सक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने के बाद विवाह के लिए इंतजार करना पड़ेगा। इस दौरान रामानुज संप्रदाय के वेंकटेश मंदिरों में धनुर्मास उत्सव की शुरुआत 16 दिसंबर से होगी। इसमें जहां प्रतिदिन तिरुपवाई स्त्रोत पाठ, गोदाजी अर्चना, गुरू परम्परा पाठ के आयोजन होंगे वहीं 27वें दिन गोदा-रंगनाथ विवाह उत्सव होगा।
आचार्य शिव प्रसाद तिवारी के अनुसार सूर्यदेव एक महीने तक यानि धनु राशि में रहने के बाद 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद मांगलिक कार्य की शुरुआत होती है लेकिन इस बार थोड़ा इंतजार करना होगा। इसका कारण 12 दिसंबर को अस्त हुए शुक्र के तारा अब फरवरी में उदित होगा। शुभ मांगलिक कार्यों पर लगी रोक 4 फरवरी को हटेगी। लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग के नागोरिया पीठाधिपति स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य ने बताया वैष्णवजनों में धर्नुमास का विशेष महत्व है। इस दौरान मंदिर में महीनेभर विभिन्न उत्सव होंगे। इस माह के प्रतिनिधि देव भगवान विष्णु है।
लक्ष्मी-वेंकटेश देवस्थान गुमाश्तानगर में नागोरिया पीठाधिपति स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के सान्निध्य में धनुर्मास उत्सव की शुरुआत 16 दिसंबर को होगी। प्रचार प्रमुख पंकज तोतला ने बताया कि इस दौरान सुबह 5.45 बजे वेंकटरमणा गोविंदा श्रीनिवास गोविंदा नाम-जप परिक्रमा निकलेगी। इसके बाद स्तोत्र पाठ और 1008 नामों से अर्चना की जाएगी। प्रतिदिन भगवती की कुमकुम अर्चना होगी। रात 9 बजे प्रभु वेंकटेश की महाआरती की जाएगी।
गुमाश्ता नगर स्थित तिरूपति बालाजी वेंकटेश देवस्थान पर कई विशिष्ट आयोजन होंगे। महीने भर होंगे। प्रचार प्रमुख रामस्वरूप मूंदड़ा ने बताया कि इस अवसर पर प्रतिदिन मनोहारी श्रृंगार किया जाएगा। सुबह 6.30 बजे आरती के बाद तिरुपवाई स्त्रोत पाठ, गोदा अर्चना, गुरु परम्परा पाठ, भजन-कीर्तन आदि संपन्न होंगे। श्रद्धालुओं को खिरान प्रसाद का वितरण किया जाएगा। गोदा रंगनाथ विवाह उत्सव 11 जनवरी को आयोजित किया जाएगा।
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यशवंतगंज स्थित रामानुजकोट मंदिर में धनुर्मास महोत्सव गादीस्थ रंगाचार्य महाराज के सान्निध्य एवं विजयाचार्य स्वामी के मार्गदर्शन में मनाया जाएगा। इस अवसर पर प्रतिदिन सुबह 5.15 बजे स्तोत्र पाठ, 6 बजे आरती और प्रसाद वितरण होगा। प्रतिदिन गोदादेवी द्वारा रचित श्रीतिरुपावै की एक-एक गाथा का पाठ किया जाएगा।