ये हैं विश्व के सबसे प्राचीन मंदिर, यहां हैं प्रमाण
ईश्वर हर जगह मौजूद है। इसके प्रमाण हैं। ये प्रमाण ही ईश्वर पर आस्था की बुनियाद कायम करते हैं।
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Publish Date: Mon, 08 Jun 2015 05:07:01 PM (IST)
Updated Date: Wed, 10 Jun 2015 04:31:57 PM (IST)

ईश्वर हर जगह मौजूद है। इसके प्रमाण हैं। ये प्रमाण ही ईश्वर पर आस्था की बुनियाद कायम करते हैं। हमारे वेदों में ईश्वर का उल्लेख मिलता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ माने गए हैं, इनमें ईश्वर का उल्लेख होना, ईश्वर की प्रमाणिकता और उनकी प्राचीनता को सिद्ध करता है।
दुनिया में ऐसे कई मंदिर हैं जो बहुत प्राचीन हैं उन्हीं में से कुछ यहां उल्लेखित हैं...
- विश्व का सबसे बड़ा और प्रचीन हिन्दू मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट में है। अंकोर का पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53 ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मंदिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिव मंदिरों का निर्माण किया था।
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- सोमनाथ मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है इससे यह सिद्ध होता है भारत में मंदिर परंपरा कितनी पुरानी रही है। इतिहासकार मानते हैं कि ऋग्वेद की रचना 7000 से 1500 ईसा पूर्व हई थी यानी आज से 9 हजार वर्ष पूर्व। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।
दक्षिण अफ्रीका में सुद्वारा नाम की एक गुफा में पुरातत्वविदों को भोलेनाथ की 6 हजार वर्ष पुराना शिवलिंग मिला था। जिसे कठोर ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। इस शिवलिंग को खोजने वाले विशेषज्ञ आश्चर्य में थे कि यह शिवलिंग यहां हजारों वर्षों तक सुरक्षित कैसे रहा।
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- तिरुपति शहर में स्थित विष्णु मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। ईसाइयों के पवित्र तीर्थ स्थल रोम और मुस्लिम धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का की तरह ही यहां हजारों श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं और लगभग लाखों रुपए प्रतिदिन चढ़ावा आता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण हैं। कहते हैं इस मंदिर की परछाईं नहीं नजर नहीं आती।
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण में उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम के विवाह के समय सीताजी द्वारा मां गौरी {माता पार्वती} की पूजा करना इस बात का सबूत है कि उस काल में देवी-देवताओं की पूजा का महत्व था और उनके घर से अलग पूजा स्थल होते थे। ठीक इसी तरह महाभारत में दो घटनाओं में कृष्ण के साथ रुक्मणि और अर्जुन के साथ सुभद्रा के हरण के समय दोनों देवियों द्वारा देवी पूजा के लिए वन में स्थित गौरी माता के मंदिर में पूजा के प्रमाण मिलते हैं।
विश्व का पहला ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर है। इसका निर्माण 1003- 1010 ई. के बीच चोल शासक राजाराज चोल- प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़े से बने हैं। यह भव्य मंदिर राजाराज चोल के राज्य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 एडी और 1009 एडी के दौरान) निर्मित किया गया था।
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- मुंडेश्वरी देवी का मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में पवरा पहाड़ी पर 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी स्थापना 108 ईस्वी में हुविश्क के शासनकाल में हुई थी। यहां शिव और पार्वती की पूजा होती है। प्रमाणों के आधार पर इसे देश का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है।
- विश्व का सबसे पुराना शहरो में वाराणसी, जिसे 'बनारस' के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है। भगवान बुद्ध ने 500 बीसी में यहां आगमन किया था और यह आज विश्व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है। इसके बाद अयोध्या और मथुरा के नाम आते हैं।