प्रेम कहानियां सदियों से इस ब्रह्मांड में मौजूद हैं। कुछ प्रेम कहानियां ऐसी होती हैं, जो पूरी तरह विचित्र होती हैं। इन पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन यह सच होती हैं। ऐसी ही प्रेम कहानी थी, श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की।
बलराम का विवाह रेवती से हुआ था। लेकिन रेवती कई युगों से अविवाहित थीं। कारण था उनके लिए सुयोग्य वर न मिल पाना। इस बात को लेकर रेवती के पिता रेवत काफी परेशान थे।
राजा रेवत, महान राजा शर्याति के वंशज थे और वह कुशस्थली का राज-काज संभाल रहे थे। यह पूरा घटनाक्रम सतयुग का है। जब राजा रेवत अपनी पुत्री रेवती के विवाह को लेकर चिंतित थे, तब वह एक दिन ब्रह्मलोक पहुंचे। ब्रह्मलोक में उस समय वेदों का गान चल रहा था।
इसलिए वह वहां रुक गए। समय बीतता गया। वेदों का पाठ जब खत्म हुआ तो ब्रह्माजी के सामने उन्होंने अपनी बात कही।
लेकिन ब्रह्माजी ने कहा, 'हे राजन् आप जब से ब्रह्मलोक में हैं। तब से तो कई युग बीत चुके हैं। आपके सगे-संबंधियों का भी अंत हो चुका है। इस समय पृथ्वी पर द्वापरयुग चल रहा है।
वहां स्वयं साक्षात् विष्णु भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया है। और उनके भाई बलराम भी हैं। जो शेषनाग के अवतार हैं। राजन् आपको बलराम से सुयोग्य वर रेवती के लिए पृथ्वी पर मिलना मुश्किल हैं। अतः रेवती का विवाह बलराम से कीजिए।'
राजा रेवत ब्रह्माजी की आज्ञा का पालन करते हुए बलराम जी से मिले, लेकिन रेवत और उनकी पुत्री रेवती के शरीर का आकार सतयुग के मानव की तरह इक्कीस हाथ का था। ऐसे में बलराम ने अपने हल को रेवती के सिर पर रख दिया।
पढ़ें: बेपनाह खूबसूरत थीं दमयंती, लेकिन नल को थी ये लत
हुआ यूं कि रेवती के शरीर का आकार द्वापरयुग के उस समय मौजूद मनुष्य की तरह यानी 7 हाथ का हो गया। बात में बलराम और रेवती ने प्रेम पूर्वक दैनिक दिनचर्या का पालन करते हुए। काफी समय तक पृथ्वी पर मौजूद रहे थे।
पौराणिक तथ्य
सतयुग में मानव की ऊंचाई 21 हाथ, त्रेतायुग में 14 हाथ, द्वापरयुग में 7 हाथ और कलयुग में मनुष्य के शरीर का आकार साढ़े तीन हाथ यानी 6 फीट है।