
अब तक: जब राजकुमारी को पता चलता है उसका पति तो एक स्त्री है। वह हैरान हो जाती है। और आप-बीती अपने पिता को सुनाती है। पिता गुस्से में लाल हो जाता है। और शिखंडी के पिता राजा द्रुपद के राज्य पांचाल देश पर आक्रमण कर देता है। अब आगे...
राजा हिरण्यवर्मा व अन्य राजाओं ने निश्चय किया कि यदि शिखंडी सचमुच स्त्री हुआ तो हम राजा द्रुपद को कैद कर उसके राज्य पर अधिकार कर लेंगे और बाद में द्रुपद और शिखंडी का वध कर देंगे। राजा हिरण्यवर्मा द्वारा आक्रमण करने की बात जब स्त्री रूपी शिखंडी को पता चली तो घबराहट में वह प्राण त्यागने के लिए चली गईं।
लेकिन, उस वन की रक्षा स्थूणाकर्ण नाम का एक यक्ष करता था। यक्ष ने जब शिखंडी को देखा तो उससे यहां आने का कारण पूछा। तब शिखंडी ने उसे पूरी बात सच-सच बता दी। पूरी बात जानने के बाद उस यक्ष ने शिखंडी की सहायता करने के उद्देश्य से अपना पुरुषत्व उसे दे दिया और उसका स्त्रीत्व स्वयं धारण कर लिया।
यक्ष ने शिखंडी से कहा कि तुम्हारा कार्य सिद्ध होने पर तुम पुन: मेरा पुरुषत्व मुझे पुन: लौटा देना। शिखंडी ने अपनी सहमति दे दी। और नगर की ओर आ गया। शिखंडी को पुरुष रूप में देखकर राजा द्रुपद बहुत प्रसन्न हुए। राजा हिरण्यवर्मा ने भी शिखंडी के पुरुष रूप की परीक्षा ली और शिखंडी को पुरुष जानकर वह बहुत प्रसन्न हुआ।
जब शिखंडी अपने पुरुष रूप में पांचाल नगर में रह रहा था। इसी बीच एक दिन यक्षराज कुबेर घूमते-घूमते स्थूणाकर्ण के पास पहुंचे, लेकिन वह यक्ष उनके अभिवादन के लिए नहीं आया। तब कुबेर ने अन्य यक्षों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने पूरी बात यक्षराज को बता दी और कहा कि इस समय स्थूणाकर्ण स्त्री रूप में है।
इसलिए शर्म के कारण वह आपके सामने नहीं आ रहा है। पूरी बात जानकर यक्षराज कुबेर बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने स्थूणाकर्ण को श्राप दिया कि अब उसे इसी रूप में रहना होगा।
स्थूणाकर्ण द्वारा क्षमा मांगने पर यक्षराज ने कहा कि शिखंडी की मृत्यु के बाद तुम्हें तुम्हारा पुरुष रूप पुन: प्राप्त हो जाएगा। इधर जब शिखंडी का कार्य सिद्ध हो गया तो वह वन में स्थूणाकर्ण के पास पहुंचा।
तब स्थूणाकर्ण ने शिखंडी को पूरी बात बता दी। यह जानकर शिखंडी को बहुत प्रसन्नता हुई।
महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब दुर्योधन ने मरने से पहले अश्वत्थामा को अपना सेनापति बनाया था, तब महादेव की तलवार से अश्वत्थामा ने सोती हुई अवस्था में शिखंडी का वध कर दिया था। इस तरह शिखंडी का अंत हो गया।