
धर्म डेस्क। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की प्रत्येक दिशा का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन पश्चिम दिशा को शनि देव की दिशा माना गया है। शनि देव कर्म और न्याय के देवता हैं, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
इस दिशा में गलत वस्तुएं रख दी जाएं या वास्तु नियमों की अनदेखी की जाए, तो जीवन में तनाव, आर्थिक हानि और असफलता आने लगती है। सही संतुलन बनाए रखने से यही दिशा स्थिरता, समृद्धि और सफलता प्रदान करती है।
पश्चिम दिशा में टूटे बर्तन, फर्नीचर या बेकार वस्तुएं रखने से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। इससे घर में झगड़े, रुकावटें और धन हानि हो सकती है। इस दिशा को हमेशा स्वच्छ और व्यवस्थित रखें। टूटा या अनुपयोगी सामान तुरंत हटा दें या दान कर दें।
इस दिशा में भारी लोहे की तिजोरी या मशीनें रखने से शनि दोष बढ़ता है। धन प्रवाह रुक सकता है और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी आ सकती हैं। ऐसी वस्तुएं उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना शुभ माना गया है। पश्चिम दिशा को हल्का और खुला रखना ही बेहतर है।
पश्चिम दिशा में काले रंग का अधिक प्रयोग अशुभ फल देता है। इससे तनाव और कलह बढ़ सकती है। इस दिशा में हल्के नीले या सफेद रंग का प्रयोग करना शुभ रहता है।
शनि और जल तत्व एक-दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए पश्चिम दिशा में कूलर, फव्वारा या एक्वेरियम रखना मानसिक अशांति और बीमारियां बढ़ा सकता है। पानी से जुड़ी वस्तुएं उत्तर-पूर्व दिशा में ही रखें।
पश्चिम दिशा में मंदिर या बेडरूम बनाना शनि दोष को आमंत्रित करता है। इससे नींद में बाधा और मानसिक तनाव बढ़ता है। इस दिशा में अध्ययन कक्ष या ऑफिस बनाना अधिक लाभदायक होता है।
शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें, “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 19 बार जाप करें और काले तिल, तेल या उड़द का दान करें। पश्चिम दिशा को स्वच्छ और सादगीपूर्ण रखें। ऐसा करने से घर में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति बनी रहती है।
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