बिलासपुर। होलाष्टक सात मार्च को समाप्त होगा। आठ मार्च को होली(रंगोत्सव) मनाया जाएगा। इसके बाद मांगलिक और वैवाहिक कार्यक्रम शुरू होंगे। मार्च में एक ओर जहां शहनाइयां बजेंगी, वहीं उपनयन, वधु प्रवेश, व्यापार, गृह प्रवेश, वाहन खरीदी, पूंजी निवेश, संपदा क्रय के लिए भी शुभ मुहूर्त हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास शुरू हो चुका है। यह साल का आखिरी महीना है जो सात मार्च तक रहेगा। इन दिनों शुक्ल पक्ष होना, जो शुभ माना जा रहा है। हिंदू वर्ष के आखिरी दिनों यानी फाल्गुन शुक्ल पक्ष में महत्वपूर्ण व्रत-उपवास और त्योहार होते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित देव कुमार पाठक के अनुसार इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। फाल्गुन को ऊर्जा और यौवन का महीना माना जाता है। इस दौरान वातावरण खुशनुमा हो जाता है और हर जगह नई उमंग छा जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत ही शुभ है। फाल्गुन शिवजी, श्रीकृष्ण और चंद्र देव की पूजा-उपासना का समय होता है। होली, महाशिवरात्रि आदि प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं।
बता दें कि मई व जून में विवाह के लिए सबसे अधिक मुहूर्त हैं। इसके बाद चार महीने कोई मुहूर्त नहीं है। नवंबर व दिसबंर में विवाह मुहुर्त है। साल का आखिरी लग्न 15 दिसंबर को होगा। 14 मार्च से 14 अप्रैल तक मलमास रहेगा। इसके बाद गुरु अस्त होने की वजह से पांच मई तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे। पंडित बाबूलाल चतुर्वेदी पंचांग के मुताबिक आठ, नौ, 11 व 13 मार्च को शुभ मुहूर्त है।
पंडित पाठक के अनुसार मार्च में व्रत त्योहारों की धूम रहेगी। 12 मार्च को रंगपंचमी, 15 को शीतलाष्टमी तथा 22 मार्च से नवरात्र शुरू होगा। इसी दिन गुड़ी पड़वा भी होगा। 30 मार्च को रामनवमीं का पर्व मनाया जाएगा। इसके साथ ही नवरात्र जवारा विसर्जन होगा। त्योहारी सीजन को देखते हुए बाजार में चमक लौट आई है। रंगोत्सव के पूर्व दुकानें सजने लगी हंै। रंग-गुलाल एवं पिचकारी बाजार में आ चुके हैं।