धर्म डेस्क, इंदौर। सामुद्रिक शास्त्र भारतीय ज्योतिष व शारीरिक लक्षणों के अध्ययन का एक रहस्यमयी शास्त्र है, जिसकी रचना ऋषि समुद्र ने की थी। इसका उद्देश्य व्यक्ति के शरीर की बनावट, अंगों की स्थिति और चिह्नों को ध्यान में रख उनके स्वभाव, व्यवहार और भविष्य के बारे में बताना है।
शरीर के हर हिस्से का इस शास्त्र में विशेष महत्व है। आपकी पीठ पर मौजूद तिल भी जीवन से जुड़ी कई अहम बातों का संकेत देती है। आइए जानते हैं पीठ के अलग-अलग हिस्सों पर तिल होने का क्या मतलब होता है...
किसी व्यक्ति की पीठ के ऊपरी हिस्से पर तिल हो, तो सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार वह बहुत भावुक किस्म का होता है। इस तरह के लोग भावनाओं में बहकर फैसले ले लेते हैं, जो उनको नुकसान पहुंचा देते हैं। इनमें रचनात्मकता बहुत होती है। यह अकेलेपन से घबराते हैं। इन्हें सच्चा साथी ढूंढ़ने में कठिनाई होती है।
जिन व्यक्तियों की पीठ के बीच में तिल होता है, वह बहुत जिद्दी होते हैं। वह सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं। ये लोग अपनी निजी बातें साझा करना पसंद नहीं करते, लेकिन दूसरों की जिंदगी में बहुत रुचि रखते हैं। ये वाणिज्य, गणित या व्यवसाय से जुड़े क्षेत्रों में सफलता पाते हैं।
पीठ के निचले हिस्से पर तिल वाले व्यक्ति कामुक होते हैं। इनके जीवन में प्रेम संबंध अधिक होते हैं, लेकिन वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। ऐसे लोग दूसरों पर जल्दी विश्वास कर लेते हैं। कभी-कभी इसका नुकसान भी उठाते हैं। इनका धार्मिक कार्यों में बहुत मन लगता है।