धर्म डेस्क, इंदौर। सनानत संस्कृति में विवाह का धार्मिक महत्व है। इसको सामाजिक बंधन के तौर पर नहीं देखा जाता है। यह दो आत्माओं का मिलन है। विवाह के बाद दंपती में सामंजस्य बनाने के लिए ग्रहों भी योगदान देते हैं। ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं है, तो शादी में समस्या आ सकती है।
व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष है, तो जीवन बहुत ही कठिन हो जाता है। इसमें घट विवाह आपकी मदद कर सकता है। यह एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जो कि कुंडली दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है। यह प्रतीकात्मक विवाह है।
घट का अर्थ जल से भरा हुआ बर्तन होता है। इस बर्तन को कन्या या वर जीवनसाथी के रूप में मानकर शादी रचाते हैं। ज्योतिषीय मान्यता है कि इस तरह जातक की कुंडली के सारे दोष खत्म हो जाते हैं, जिससे विवाह संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
घट विवाह पूरी तरह वैदिक पद्धति से किया जाता है। कन्या का विवाह कलश या पीपल के वृक्ष से होता है। वर का विवाह सुराही से कराते हैं। कुछ स्थानों पर भगवान विष्णु की मूर्ति से भी कन्या का विवाह करते हैं। विवाह की सभी विधियां मंत्रोच्चारण और पवित्र अग्नि के सामने पूरी होती हैं। इसका उद्देश्य कुंडली के दोषों को शांत करना होता है।
कुछ लोग घट विवाह को अंधविश्वास मानते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह एक वैदिक प्रक्रिया है। यह कर्मकांड धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से किया जाता है। आज भी देश के कई हिस्सों में यह परंपरा जारी है।
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