एक जीवित शरीर में क्या कोई दूसरी आत्मा प्रवेश कर सकती है? इसका सटीक उत्तर यही है कि, 'बिल्कुल भी नहीं'। यहां तक कि किसी मृत शरीर में भी दूसरी आत्मा प्रवेश नहीं कर सकती है।
अब यह सवाल उठना, जेहन में लाजिमी है कि फिर भूत-पिशाच-चुड़ैल कैसे एक जीवित शरीर में प्रवेश कर जाते हैं?
और इसका उत्तर भी यही है कि नहीं वो कभी भी दूसरे जीवित या मृत शरीर में प्रवेश कर ही नहीं सकते। यह सिर्फ मन का वहम है। जो महज पूरी तरह से अंधविश्वास पर आधारित है।
यदि किसी को भूत-पिशाच-चुड़ैल आने जैसी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है तो उसे किसी मनोरोग विशेषज्ञ के पास इलाज करना चाहिए। उन्हें झाड़-फूंक करने वाले अविश्वसनीय बाबाओं के पास रोगी के शरीर का सर्वनाश नहीं करवाना चाहिए।
भूत-प्रेत-चुड़ैल समस्या पूरी तरह से मानसिक रोग से संबंधित एक रोग है। सोचिए यदि आपका दिमाग काम करना बंद कर दे, और अजीबोगरीब हरकत करने लगे तो कुछ लोग इस भूत-प्रेत का चक्कर मान बैठते हैं। जबकि इसका किसी विषय विशेषज्ञ से इलाज कराया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं।
यह बीमारियां जब अधिक बढ़ जाती हैं तो व्यक्ति अजीब तरह की हरकतें करने लगता है। ऐसा उन लोगों के साथ अमूमन होता है जिनकी मानसिक शक्ति कमजोर होती है। आलम यह होता है कि इन अजीब हरकतों को भूत-प्रेत-चुड़ैल का चक्कर बता दिया जाता है।
न हो ऐसा इसलिए करें ये उपाय
- बचपन से ही बच्चों को भूत-प्रेत की कहानियां सुनाकर डराना बिल्कुल बंद करें।
- बच्चों को अंधविश्वास के प्रति जागरुक करें।
- अंधेरे को प्रकाश की एक किरण उजाले में तब्दील कर देती है। बच्चों के इस बारे में बताएं। अंधेरा डर का कारण नहीं है।
- बचपन से ही बच्चों को निडर, साहसी बनाएं और प्रेरक महापुरुषों की जिंदगी के बारे में बताएं। भूत-प्रेत जैसी काल्पनिक कहानी बिल्कुल भी न सुनाएं।
- यदि बच्चे को किसी भी तरह का डर है तो उनके माता-पिता बच्चों के साथ बैठें और उन्हें समझाएं। उस डर को पूरी तरह से मिटाने की हर संभव कोशिश करें।
- भूत-प्रेत आने वाली समस्याएं उन्हीं लोगों को होती है जिनका बचपन या तो भय में और या फिर काल्पनिक कहानियों के बीच बीता है।
- बच्चा, बचपन में निडर है। और यदि उसे बड़े होकर इस तरह की समस्या से जूझना पड़ रहा है तो उसका किसी मनोरोग विशेषज्ञ से बेहतर इलाज कराएं।
- लड़कियों के साथ ये समस्या ज्यादा होती है। वजह साफ है, बचपन में उन्हें हम ही कहते हैं ये न करो, यहां मत जाओ, वहां मत जाओ। दरअसल ये बातें उनके दिमाग में एक डर पैदा करती हैं और वो पूरी तरह से भूत-पिशाच-चुड़ैल जैसी कल्पनाओं को हकीकत मान लेती हैं। वे दिमागी तौर पर असंतुलित हो जाती हैं। ऐसी बातें छोटी बालिकाओं के साथ बिल्कुल भी न करें।