
धर्म डेस्क। हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित पौराणिक कथाएं न केवल आश्चर्यचकित करती हैं, बल्कि जीवन के लिए शिक्षा भी देती हैं। ऐसी ही एक कथा ब्रह्मा जी से जुड़ी है। आमतौर पर हम ब्रह्मा जी को चार मुख वाले ही जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके पांच मुख हुआ करते थे? चलिए जानते हैं इस कथा के पीछे की वजह।
कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी को संसार की सृष्टि करने का कार्य सौंपा गया था। इसी दौरान उन्होंने एक अत्यंत सुंदर स्त्री की रचना की, जिसे शतरूपा नाम दिया। शतरूपा इतनी अद्भुत सुंदर थीं कि स्वयं ब्रह्मा जी भी उन पर मोहित हो गए और उनसे अपनी दृष्टि नहीं हटा पाए।
ब्रह्मा जी की यह प्रवृत्ति देखकर शतरूपा असहज हो गईं और उनसे बचने का प्रयास करने लगीं, किंतु सफल नहीं हो सकीं। यह दृश्य भगवान शिव ने भी देखा। उन्हें यह आचरण अनुचित लगा क्योंकि शतरूपा, ब्रह्मा जी की पुत्री समान थीं। क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने गण भैरव को आदेश दिया और भैरव ने ब्रह्मा जी का पांचवां मुख काट दिया।
इस घटना के बाद ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी। कहा जाता है कि इसी कारण उनकी पूजा, भगवान विष्णु और भगवान शिव की तुलना में नहीं की जाती।
मान्यता है कि इसी कारण पूरे भारत में ब्रह्मा जी का केवल एक ही प्रमुख मंदिर है, जो राजस्थान के पुष्कर में स्थित है।