धर्म डेस्क। हिंदू धर्म ग्रंथों में अनेक पौराणिक कथाएं वर्णित हैं, जो न केवल ज्ञान का भंडार हैं बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली प्रेरणा भी देती हैं। ऐसी ही एक कथा मां लक्ष्मी और भृगु ऋषि से जुड़ी है, जिसमें बताया गया है कि मां लक्ष्मी ब्राह्मणों के घर क्यों स्थायी रूप से नहीं रहतीं।
कथा के अनुसार, एक बार सभी ऋषि-मुनियों में यह विवाद हुआ कि तीनों देवताओं - ब्रह्मा, विष्णु और महेश में सबसे श्रेष्ठ कौन है। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए ऋषि भृगु को चुना गया।
सबसे पहले भृगु जी ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। उन्होंने न तो प्रणाम किया और न ही सम्मान दिखाया, जिससे ब्रह्मा जी नाराज हो गए।
इसके बाद वे भगवान शिव के पास गए और वहां भी उन्होंने यही व्यवहार किया, जिससे शिव जी भी क्रोधित हो उठे।
अंत में वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे। उस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे। भृगु ऋषि ने उन्हें जगाने की कोशिश की लेकिन जब वे नहीं उठे तो क्रोध में आकर उनकी छाती पर लात मार दी।
ऋषि के इस व्यवहार पर भी भगवान विष्णु शांत रहे। उन्होंने तुरंत भृगु के चरण पकड़ लिए और विनम्रता से बोले - 'क्या मेरी कठोर छाती से आपके पैर में चोट तो नहीं लगी?'
यह देखकर ऋषि भृगु को निश्चित हो गया कि तीनों देवताओं में भगवान विष्णु ही सबसे श्रेष्ठ हैं।
हालांकि इस घटना से मां लक्ष्मी अत्यंत दुखी और क्रोधित हो गईं। उन्होंने भृगु ऋषि को श्राप दिया कि वे कभी भी ब्राह्मणों के घर नहीं जाएंगी और यही कारण है कि ब्राह्मणों को सामान्यतः संपत्ति और वैभव स्थायी रूप से प्राप्त नहीं होता।