Kawad Yatra 2025: आखिर कंधे पर रखकर कांवड़ क्यों ले जाते हैं लोग?, जान लीजिए इससे क्या है इसका रावण का कनेक्शन
Kawad Yatra 2025: सावन का पवित्र महीना शुरु हो चुका है। यह काफी पावन महीना होता है जिसमें भक्त भगवान शिव पर अभिषेक करने के लिए दूर-दूर से जल भरकर लाते हैं, इसको कांवड़ के नाम से जाना जाता है। चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर शिवभक्त कंधे पर ही रखकर जल क्यों लाते हैं।
Publish Date: Sun, 13 Jul 2025 10:05:50 AM (IST)
Updated Date: Sun, 13 Jul 2025 10:08:57 AM (IST)
कंधे पर क्यों लाते हैं कांवड़HighLights
- सावन के पवित्र माह की शुरुआत हो चुकी है।
- शिवभक्त दूर-दूर से भरकर लाते हैं पवित्र जल।
- पवित्र जल को कंधे पर रखकर लाने की है परंपरा।
धर्म डेस्क। Kawad Yatra 2025: भगवान शिव की आराधना से जुड़ा पवित्र महीना सावन शुरु हो गया है। इस महीने को काफी पावन माना जाता है। शिवभक्त दूर-दूर नदियों से जल भरकर लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। पवित्र जल भरकर लाना और भगवान शिव पर चढ़ाने की यह जो यात्रा होती है उसे कांवड़ यात्रा कहा जाता है।
इस यात्रा की सबसे पवित्र बात यह होती है कि शिवभक्त कंधों पर कांवड़ रखकर चलते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि आखिर कांवड़ को कंधे पर रखकर ही क्या चला जाता है?। चलिए, आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
रावण से जुड़ा है रहस्य
कांवड़ यात्रा कब शुरु हुई, किसने शुरु की और किस लिए शुरु हुई इसको लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं। इन्हीं कथाओं में से एक कथा लंकापति रावण से जुड़ी हुई है। मान्यता के अनुसार, जब रावण ने कैलाश पर्वत उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव इससे काफी नाराज हुए। रावण को अपनी गलती का अहसास होने के बाद उसने भगवान शिव को खुश करने के लिए गंगाजल से उनका अभिषेक किया।
इस गंगाजल को रावण एक विशेष तरीके से कांवड़ में भरकर लाया था। उसने उस कांवड़ वाले जल को अपने कंधे पर रखकर लाया था, आज भी शिवभक्त रावण की उसी नियम को फॉलो करते हुए जल को अपने कंधे पर रखकर लाते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
क्या है कांवड़ का महत्व
कांवड़ को लेकर तमाम तरह की मान्यताएं हैं, माना जाता है कि इससे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि अगर कोई भक्त पवित्र गंगा जल को अपने कंधे पर रखकर चलता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं। इसके साथ ही उसको देवी- देवताओं की कृपा मिलती है, जिससे उसका जीवन सफल हो जाता है।