धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में सावन के महीना का खास महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव को अति प्रिय है। यह पूरा महीना उनकी अराधना के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस महीने के प्रत्येक सोमवार को भक्त व्रत रखते हैं, लेकिन इसमें कुंवारी कन्याओं की खास रुचि होती है।
दरअसल यह मान्यता है कि सावन के सभी सोमवार को भगवान शिव का व्रत रखने से एक योग्य वर मिलता है, जैसे माता पार्वती को भगवान शिव मिले। इस मान्यताके पीछे एक पौराणिक कथा है।
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि माता पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी। उन्होंने इसके लिए कठोर तप और व्रत किया। उन्होंने वर्षों तक खाना-पीना सब छोड़ दिया। उनकी कड़ी तपस्या को देख प्रभु को पिघलना ही पड़ा। उनकी भक्त और समर्पण को देख शिवजी ने उनको पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इस कथा के आधार पर ही कुंवारी कन्याएं सावन का व्रत रख शिवजी जैसे वर की कामना करती है।
सावन सोमवार के व्रत में श्रद्धालु सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। शिवलिंग का जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भस्म से अभिषेक करते हैं। दिनभर व्रत रखने के बाद उपवास रखते हैं। शाम को उसको खोलने से पहले शिवजी की आरती व कथा सुनते हैं। कुछ कन्याएं सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखती हैं, तो कुछ सिर्फ चार सोमवार तक व्रत रखती हैं।
इस व्रत को रखने का कारण सिर्फ वर प्राप्त करने ही नहीं है। यह आध्यात्मिक साधना और मानसिक संयम का भी प्रतीक है। कन्याएं शिवजी की उपासना कर श्रेष्ठ जीवनसाथी की कामना करती हैं। उसके साथ ही अपने जीवन में धर्म, संयम और श्रद्धा को भी सुदृढ़ करती हैं।
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