धर्म डेस्क, इंदौर। Amarnath Dham: इस समय मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहा है, जिसका असर कश्मीर पर भी पड़ा है। इस कारण दक्षिण कश्मीर में समुद्र तल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरेश्वर धाम में बर्फ से बने शिवलिंग पर भी मौसम का प्रभाव पड़ रहा है। अमरनाथ यात्रा शुरू होने के एक हफ्ते के अंदर ही शिवलिंग पिघलने लग गया है।
इसे लेकर विभिन्न धर्मगुरुओं का कहना है कि श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बनने वाले बर्फ के शिवलिंग का बहुत महत्व है। साथ ही इस गुफा का भी उतना ही महत्व है। क्योंकि भगवान शिव ने इसी गुफा को चुना था और अमरत्व की कथा सुनाई थी।
इतिहासकारों का मानना है कि यह तीर्थयात्रा ईसा पूर्व से एक हजार साल पहले शुरू हुई थी। यह तीर्थयात्रा श्रावण माह में शुरू होती है और श्रावण पूर्णिमा के दिन समाप्त होती है। कुछ साल पहले से ही इस तीर्थयात्रा की अवधि बढ़ा दी गई है। अब यह श्रावण माह से लगभग 20-25 दिन पहले शुरू होती है।
इस पवित्र गुफा में पूरा शिव परिवार विराजमान है। भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश हिमलिंग के रूप में विराजमान है। भगवान शिव की प्रतिमा हिमलिंग आकार की दृष्टि से सबसे बड़ा है। कभी-कभी इसकी ऊंचाई 10 फीट से भी अधिक हो जाती है।
श्री अमरेश्वर धाम के संत छड़ी मुबारक के संरक्षक और दशनामी अखाड़े के महंत दीपेंद्र गिरि के अनुसार, धार्मिक मान्यता और ग्रंथों में भी इस स्थान का महत्व बताया गया है। भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए इस पवित्र गुफा को चुना, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। वे कोई अन्य स्थान भी चुन सकते थे, लेकिन उन्हें इससे बेहतर कोई स्थान नहीं मिला।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जुड़े एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि बर्फ के शिवलिंग के विलुप्त होने का विवाद 2006 में यात्रा शुरू होने से पहले उठा था। इसके बाद बोर्ड के अनुरोध पर सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल और स्नो एंड एवलांच स्टडीज इस्टेब्लिशमेंट (सासे) ने पवित्र गुफा में बर्फ के शिवलिंग पर एक अध्ययन किया था।
पवित्र गुफा के आसपास तापमान में वृद्धि, पवित्र गुफा में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि, पवित्र गुफा के आसपास मानवीय गतिविधियों में वृद्धि शिवलिंग के पिघलने का मुख्य कारण है। अध्ययन से पता चला है कि प्रत्येक श्रद्धालु पवित्र गुफा में लगभग 100 वाट ऊर्जा उत्सर्जित करता है।
तीर्थयात्रा के दौरान, पवित्र गुफा में एक समय में लगभग 250 श्रद्धालु रुकते हैं। पवित्र गुफा में वेंटिलेशन लोड भी लगभग 36 किलोवाट है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु, पवित्र गुफा और यात्रा मार्ग पर सेवा प्रदाता और सुरक्षा बल भी समय से पहले पवित्र गुफा में दर्शन के लिए आते हैं। इसका भी असर पड़ता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'