धर्म डेस्क। Pitru Paksha Birthday Rituals: सनातन परंपरा में पितृ पक्ष को 16 दिनों की ऐसी विशेष अवधि माना गया है, जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं। इसको श्रद्धा और संयम का समय मनाया जाता है।
ऐसे में अक्सर सवाल उठता है कि यदि किसी व्यक्ति का जन्मदिन पितृ पक्ष के दौरान पड़ जाए, तो क्या उसे मनाना चाहिए? शास्त्रों और पुराणों में इस विषय पर स्पष्ट मार्गदर्शन मिलता है, जिसमें कहा गया है कि इन दिनों में संयमित जीवनशैली अपनाकर पितरों को प्रसन्न करने वाले कार्य करना ही श्रेष्ठ होता है।
आइए आपको आर्टिकल में विस्तार से इस बारे में बताएं...
शास्त्रों में पितृ पक्ष को शोक और स्मरण का काल बताया गया है। इस दौरान परिवार का मुख्य उद्देश्य पितरों की पूजा और तर्पण होता है। माना जाता है कि अगर इस समय में शादियों, गृहप्रवेश, भव्य आयोजनों या जन्मदिन जैसे उत्सव मनाए जाएं, तो पूर्वज अप्रसन्न हो सकते हैं, इसलिए परंपरागत रूप से उत्सवों से बचने की सलाह दी जाती है।
अगर, किसी का जन्मदिन पितृ पक्ष में आता है तो इसे साधारण तरीके से मनाना उचित है। धूमधाम और पार्टियों से बचते हुए, व्यक्ति को पितरों के नाम पर दान-पुण्य, भोजन वितरण या दीपदान करना चाहिए। गरुड़ पुराण के अनुसार इस समय किए गए पुण्य का कई गुना फल मिलता है। भगवान विष्णु, शिव या माता दुर्गा की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
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