मल्टीमीडिया डेस्क। आषाढ़ कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार योगिनी एकादशी 29 जून को है। पद्मपुराण के मुताबिक इस एकादशी का पाप के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्व है।इस दिन पूजा-पाठ, व्रत करने से हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है और मनुष्य को उसके हर पाप से मुक्ति मिलती है।
योगिनी एकादशी पूजन विधि
योगिनी एकादशी व्रत करने से पहले रात में ही व्रत एक नियम शुरु हो जाता है। यह व्रत दशमी तिथि की रात से शुरु होता है। जो कि रातभर होते हुए द्वादशी तिथि को सुबह दान कार्य पूजा करके समाप्त होता है। व्रत के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीप अवश्य जलाए और फिर अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। इसके अलावा श्रीमद्भगवद्गीता के 11वें अध्याय का पाठ करने से भी लाभ मिलता है।
योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ - 28 जून को सुबह 6.36 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त - 29 जून को सुबह 6.45 मिनट तक
पारण का समय - 30 जून को सुबह 5.30 मिनट से सुबह 6.11 मिनट तक
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त - 30 जून को सुबह 6.11 मिनट
योगिनी एकादशी व्रत कथा
पुराणों में एक कथा प्रचलित है। इसके मुताबिक हेममाली नाम का एक माली था। जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा कुबेर का श्राप मिला और उसे कुष्ठ रोग हुआ। तब एक ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। मुनि के आदेश का पालन करते हुए हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह पूरी तरह से रोगमुक्त हो गया और उसे शाप से मुक्ति मिल गई। तभी से इस एकादशी का इतना महत्व है।