Chanakya Niti: पुत्र सुगंधित फूल वाले वृक्ष के समान होना चाहिए, जानें आचार्य चाणक्य ने क्यों कही थी ये बात
Chanakya Niti माता-पिता को भी अपने पुत्रों को सद्गति के ओर ले जाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Fri, 07 Apr 2023 12:49:42 PM (IST)
Updated Date: Wed, 12 Apr 2023 09:28:52 AM (IST)

Chanakya Niti । चाणक्य नीति ग्रंथ में आचार्य चाणक्य ने सफलता पाने के लिए कई गूढ़ रहस्यों के बारे में बताया है, यदि इन नियमों को जीवन में कोई पालन करता है तो उसे बहुत अधिक लाभ हो सकता है। इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो भी व्यक्ति अपने ज्ञान का सदुपयोग करता है, वही श्रेष्ठ कहलाता है। वर्तमान में भी आचार्य चाणक्य की शिक्षा लाखों युवाओं को मार्गदर्शन दे रही है। चाणक्य नीति के इस भाग में आज हम बात करेंगे कि एक अच्छे पुत्र का महत्व क्या होता है? एक अच्छे पुत्र के क्या कर्तव्य होते हैं, इस बारे में विस्तार से जिक्र किया है।
एकेनापि सुवर्ण पुष्पितेन सुगन्धिना ।
वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं यथा ।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में एक पेड़ का उदाहरण देते हुए कहा है कि जंगल में सुंदर और सुगंधित फूल वाले वृक्ष से दूर-दूर तक खुशबू आती है, एक पुत्र का व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए, जो पूरे कुल का नाम ऊंचा करता हो। इसलिए हर बालक को अपने परिवार के सम्मान का ध्यान रखकर ही कार्य करना चाहिए। पुत्र की एक गलती पूरे कुल का नाम और यश डुबो देती है।
एकेन शुष्क वृक्षेण दह्यमानेन वह्निना ।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा ।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि जैसे एक सूखे पेड़ में आग लगने के कारण पूरा जंगल ही भयावह अग्नि की चपेट में आ जाता है, उसी प्रकार से कुपुत्र के कारण बरसों से परिवार के द्वारा कमाई गई इज्जत मिट्टी में मिल जाती है। इसलिए माता-पिता को भी अपने पुत्रों को सद्गति के ओर ले जाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य सदियों पहले हुए थे, लेकिन उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं आज भी समाज को मार्गदर्शन दे रही हैं। आचार्य चाणक्य न केवल राजनीति, कूटनीति व युद्ध नीति का ज्ञान रखते थे, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न विषयों का भी विस्तृत ज्ञान था।
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