Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की सीख, ऐसे मित्रों को तत्काल त्याग देना चाहिए
Chanakya Niti चाणक्य मानते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है, उस पर तो विश्वास करने का प्रश्न ही नहीं उठता है।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Tue, 25 Jul 2023 02:33:51 PM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Jul 2023 08:35:57 AM (IST)
चाणक्य कहते हैं कि ऊपर से मीठे और अंदर से दुष्ट व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता। Chanakya Niti। आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति की संगति को लेकर कई बातें कही है। आचार्य चाणक्य ने सच्चे मित्र की पहचान करने के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ में कई बातों का उल्लेख किया है। आचार्य चाणक्य के इन श्लोक के आधार पर मित्रों का चयन करने से जीवन में कभी धोखा नहीं मिलता है।
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, जो पीठ पीछे कार्य को बिगाड़े और सामने होने पर बहुत ज्यादा मीठी बातें करें, ऐसे मित्र को उस घड़े के समान त्याग देना चाहिए, जिसके मुंह पर तो दूध भरा हुआ है परंतु अंदर विष हो। आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो मित्र सामने चिकनी-चुपड़ी बातें बनाता हो और पीठ पीछे बुराई करके कार्य को बिगाड़ दे तो ऐसे दोस्त को तत्काल छोड़ देना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि ऊपर से मीठे और अंदर से दुष्ट व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता। यहां एक बात विशेष रूप से ध्यान देने की है कि ऐसा मित्र आपके व्यक्तिगत और सामाजिक वातावरण को भी प्रतिकूल बना देता है।
न विश्वसेत् कुमित्रे च मित्रे चाऽपि न विश्वसेत्
कदाचित् कुपितं मित्रं सर्व गुह्यं प्रकाशयेत्
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो
मित्र खोटा है, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए और जो मित्र है, उस पर भी अति विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा हो सकता है कि वह मित्र कभी नाराज होकर सारी गुप्त बातें प्रकट कर दे। चाणक्य मानते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है, उस पर तो विश्वास करने का प्रश्न ही नहीं उठता, परंतु उनका यह भी कहना उचित है कि अच्छे मित्र के संबंध में भी पूरी तरह विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि वह नाराज हो गया, तो सारे भेद उजाकर कर सकता है।
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