Chanakya Niti: पाप की साक्षी होती है आत्मा, बुराई से बचने के लिए करें ये काम
Chanakya Niti आचार्य चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति के मन में क्या है, यह उसके चेहरे से प्रकट होता है। मनुष्य के मन के भाव उसके चेहरे पर प्रकट हो जाते हैं।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Tue, 22 Aug 2023 02:21:16 PM (IST)
Updated Date: Tue, 22 Aug 2023 02:21:16 PM (IST)
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पापी अपने पापों को अपने आप ही प्रकट करता है। पाप करने वाले के मन में सदैव अशांति बनी रहती है।HighLights
- पाप के संबंध में भी आचार्य चाणक्य ने अपने विचार प्रकट किए हैं।
- आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि छिपकर किए गए पापों के साक्षी पंचमहाभूत पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश होते हैं।
- पाप के प्रकट होने का कारण पापी की आत्मा होती है, जिसके कारण उसका पाप उसके मुख अथवा कार्यों से प्रकट हो जाता है।
Chanakya Niti। आचार्य चाणक्य को भारतीय इतिहास में एक महान राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद् और दार्शनिक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने जीवन के कई महत्वपूर्ण आदर्शों और विचारों को प्रकट किया है। पाप के संबंध में भी आचार्य चाणक्य ने अपने विचार प्रकट किए हैं, जो इस प्रकार है।
प्रच्छन्नपापानां साक्षिणो महाभूतानि
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि छिपकर किए गए पापों के साक्षी पंचमहाभूत पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश होते हैं। पाप के प्रकट होने का कारण पापी की आत्मा होती है, जिसके कारण उसका पाप उसके मुख अथवा कार्यों से प्रकट हो जाता है। ऐसे में मनुष्य को पापी व्यक्ति की बजाय पाप से डरना चाहिए।
आत्मनः पापमात्मैव प्रकाशयति
इस श्लोक में आचार्य
चाणक्य ने कहा है कि पापी अपने पापों को अपने आप ही प्रकट करता है। पाप करने वाले के मन में सदैव अशांति बनी रहती है। उसका मन उसे बेचैन किए रहता है, जिसके कारण वह अपने पाप को प्रकट करने के लिए विवश हो जाता है। परंतु यह स्थिति तब होती है, जब मनुष्य मृत्यु के द्वार पर खड़ा होता है। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह पाप से बचता रहे।
व्यवहारेऽन्तर्गतमाकारः सूचयति
आचार्य चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति के मन में क्या है, यह उसके चेहरे से प्रकट होता है। मनुष्य के मन के भाव उसके चेहरे पर प्रकट हो जाते हैं। साधारण मनुष्य तो क्या, देवता भी उन्हें छिपाने में असमर्थ रहते हैं। मन के भाव मुख पर अपने आप प्रकट हो ही जाते हैं।
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