Inspirational Story: जब चाणक्य ने व्यक्ति को परखने की तीन कसौटी बताई
चाणक्य ने कहा सुनी हुई बातों के बजाय इंसान को खुद आदमी की परख करना चाहिए।
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Publish Date: Mon, 07 Jan 2019 04:35:07 PM (IST)
Updated Date: Mon, 07 Jan 2019 04:44:12 PM (IST)

मल्टीमीडिया डेस्क। एक दिन चाणक्य का एक परिचित उनके पास आया और बड़े उत्साह के साथ कहने लगा, 'आप जानते हैं मैने अभी-अभी आपके मित्र के बारे में क्या सुना है?' चाणक्य अपनी तर्कशक्ति, ज्ञान और व्यवहार-कुशलता के लिए विख्यात थे। उन्होंने अपने परिचित से कहा, 'आपकी बात मैं सुनूं इससे पहले कुछ कहना चाहूंगा कि आप त्रिगुण परीक्षण से गुजरें।'
उस व्यक्ति ने कहा, 'यह त्रिगुण परीक्षण क्या है?'
चाणक्य ने समझाया, 'आप मुझे मेरे मित्र के बारे में बताएं इससे पहले अच्छा यह होगा कि, जो कहे उसको थोड़ा परख ले, जान ले। इसलिए मैं इस प्रक्रिया को त्रिगुण परीक्षण कहता हूं। इसकी पहली कसौटी सत्य है। इस कसौटी के अनुसार जानना जरूरी है कि जो आप कहने वाले है, वह सत्य है और आप उसके बारे में अच्छी तरह से जानते हैं।'
'नहीं', वह आदमी बोला, 'वास्तव में मैंने इसको कहीं सुना था। खुद देखा या अनुभव नहीं किया था।' 'ठीक है', चाणक्य ने कहा, 'आपको पता नहीं यह बात सत्य है या असत्य है। दूसरी कसौटी है अच्छाई। क्या आप मुझे मेरे मित्र की कोई अच्छाई बताने वाले हैं?'
'नहीं', उस व्यक्ति ने कहा। 'इस पर चाणक्य बोले, जो आप कहने वाले है न तो सत्य है न ही अच्छा। चलिए तीसरा परीक्षण कर ही डालते हैं। '
तीसरी कसौटी है उपयोगिता। जो आप कहने वाले हैं क्या वह मेरे लिए उपयोगी है। 'नहीं' ऐसा तो नहीं है। सुनकर चाणक्य ने आखिरी बात कह दी। 'आप जो मुझे बताने वाले हैं, वह न सत्य है, न अच्छा न ही उपयोगी है, फिर आप मुझे बताना क्यों चाहते हैं?'